झारखंड सरकार अब राज्यवासियों को गुणवत्तापूर्ण और तकनीकी रूप से सशक्त स्वास्थ्य सेवाएं देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। ‘मुख्यमंत्री डिजिटल हेल्थ योजना’ के माध्यम से प्रदेश में इलाज न सिर्फ सुगम होगा बल्कि आमजन को किफायती और भरोसेमंद सेवा भी उपलब्ध हो सकेगी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद राज्य सरकार ने योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया तेज कर दी है।
क्या है मुख्यमंत्री डिजिटल हेल्थ योजना?
यह योजना वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी। शुरुआत मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों से होगी और फिर इसे अनुमंडल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और हेल्थ सब सेंटर (HSC) तक विस्तारित किया जाएगा।
योजना का मुख्य उद्देश्य है—
• डिजिटल तकनीक के जरिये स्वास्थ्य सेवाओं को आसान बनाना
• टेलीमेडिसिन और रियल टाइम कम्युनिकेशन के जरिये दूरस्थ क्षेत्रों में भी विशेषज्ञ परामर्श उपलब्ध कराना
• हेल्थ डेटा का डिजिटलीकरण कर जांच और इलाज को अधिक संगठित व प्रभावी बनाना
कितना होगा खर्च और कौन करेगा क्रियान्वयन?
इस योजना पर अनुमानित 299.30 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। प्रारंभिक योजना बीएसएनएल के जरिये लागू की जानी थी, लेकिन अब यह जिम्मेदारी सी-डैक (CDAC) को सौंपी गई है। इसके तहत सभी स्वास्थ्य संस्थानों को वाई-फाई सुविधा, सीसीटीवी निगरानी, और डिजिटल रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली से लैस किया जाएगा।
जनता को क्या लाभ मिलेगा?
1. डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड की सुविधा से मरीजों को अब फिजिकल रिपोर्ट या पर्ची रखने की जरूरत नहीं होगी – सब कुछ एक क्लिक में उपलब्ध रहेगा।
2. 24×7 इमरजेंसी सेवाएं डिजिटल ट्रैकिंग के जरिये और तेज होंगी।
3. इन्वेंट्री प्रबंधन और प्रशासनिक दक्षता से संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा।
4. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत यूनिक हेल्थ आईडी, ई-हॉस्पिटल, ई-परामर्श, और ई-फार्मेसी को स्वास्थ्य केंद्रों में लागू किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका और दृष्टिकोण
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को आधुनिक और टेक-फ्रेंडली बनाना उनका प्राथमिक लक्ष्य है। चिकित्सक के अनुभव के आधार पर उन्होंने बताया कि राज्य में आधारभूत संरचना को डिजिटल तकनीक से जोड़ना बेहद जरूरी है और यही कार्य वह प्राथमिकता से कर रहे हैं।
निष्कर्ष
‘मुख्यमंत्री डिजिटल हेल्थ योजना’ झारखंड को स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। इसका सफल क्रियान्वयन न केवल मरीजों के लिए राहत लेकर आएगा बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता, गति और गुणवत्ता भी सुनिश्चित करेगा।