दिल्ली में 24 मई को आयोजित नीति आयोग की 10वीं शासी परिषद की बैठक महज़ एक प्रशासनिक चर्चा नहीं थी — ये तस्वीरों की ज़ुबान में चल रही राजनीतिक पटकथा का एक नया अध्याय भी था। मंच पर केंद्र और राज्यों के बड़े चेहरे थे, लेकिन जो तस्वीरें सामने आईं, उन्होंने कुछ ऐसे सवाल खड़े कर दिए, जिनका जवाब शायद अभी से 2029 की राजनीति में छुपा है।

हेमंत सोरेन दिखे… पर माहौल अलग था!
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो जेल से रिहा होने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी के सामने बैठे, उनकी हाज़िरी ने एक नया सियासी संकेत दिया और अब दृश्य बदलता जा रहा है क्या वाकई JMM और भाजपा के बीच की तल्ख़ियाँ अब सुलझने लगी हैं? हेमंत सोरेन के तेवर पहले जैसे आक्रामक नहीं दिखे — तस्वीरों में उनकी मौजूदगी ‘विरोध’ कम और ‘सहमति’ ज़्यादा जता रही थी।
भगवंत मान भी दिखे… लेकिन क्या संकेत दे रहे हैं?

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी इस बैठक में मौजूद थे, लेकिन उनका चेहरा भी उतना आत्मविश्वासी नहीं था जितना पहले हुआ करता था। क्या यह केजरीवाल की गिरफ्तारी और विधानसभा चुनावों में हार का असर है? या फिर ये भी भाजपा के साथ अंदरूनी समीकरणों का हिस्सा बनने की भूमिका तय कर रहे हैं?
केजरीवाल हारे, चुप हुए… अब साथी भी बदल रहे हैं?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल न केवल लोकसभा चुनाव हार गए, बल्कि अपनी विधायक की सीट भी गंवा बैठे। आप के कई नेता इन दिनों चुप हैं और नीति आयोग की बैठक में भी केजरीवाल की गैरमौजूदगी ने कई सवाल उठाए। क्या अब ‘आप’ की पुरानी राजनीति खत्म हो रही है? और क्या भगवंत मान जैसे नेता भाजपा के साथ अगला अध्याय लिखने की तैयारी में हैं?
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तो क्या ये तस्वीरें “टीम इंडिया” की हैं… या “टीम BJP प्लस” की?
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में कहा — “अगर केंद्र और राज्य टीम इंडिया की तरह काम करें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।” लेकिन सवाल ये है कि क्या ये टीम इंडिया की बात थी या टीम BJP प्लस बनाने की बिसात?
• क्या हेमंत सोरेन अपने पुराने सियासी रुख़ से हट चुके हैं?
• क्या भगवंत मान अब केजरीवाल की गिरती साख से अलग रास्ता अपना रहे हैं?
• क्या भाजपा बिना शोर-शराबे के विपक्ष के भीतर नए गठबंधन की नींव रख रही है?
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निष्कर्ष:
तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं…
और जो तस्वीरें दिल्ली से आईं, उन्होंने बता दिया कि सियासत अब सिर्फ भाषणों से नहीं, बैठकों की बॉडी लैंग्वेज से भी समझी जाती है।
2029 की तैयारी भाजपा ने शुरू कर दी है — और हो सकता है, विपक्ष के कुछ चेहरे भी अब उसी रंग में रंगने को तैयार हैं।