रांची: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पुलिस ने जाली नोटों का कारोबार करने वाले एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस कार्रवाई में पुलिस ने सपा लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय सचिव रफी खान उर्फ ‘बबलू’ समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह लंबे समय से जाली नोटों के व्यापार में सक्रिय था और इसका नेटवर्क नेपाल, यूपी, बिहार और सीमावर्ती इलाकों तक फैला हुआ था। पुलिस ने इन अपराधियों के पास से नकली नोटों के साथ अवैध हथियारों का जखीरा भी बरामद किया है। इस गिरफ्तारी के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है और राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है।
गिरोह का मास्टरमाइंड: रफी खान
रफी खान, जो समाजवादी पार्टी के लोहिया वाहिनी का राष्ट्रीय सचिव है, इस गिरोह का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। उसकी गिरफ्तारी ने समाजवादी पार्टी के अंदर भी विवाद खड़ा कर दिया है। पुलिस के अनुसार, रफी खान और उसका गिरोह नेपाल और भारत के बीच जाली नोटों का लेन-देन करता था। इसके साथ ही, यह गिरोह अवैध हथियारों का कारोबार भी करता था, जिससे उसकी आपराधिक गतिविधियों का दायरा और भी बड़ा हो गया था।
पुलिस द्वारा जब्त की गई सामग्री
इस कार्रवाई में पुलिस ने रफी खान समेत अन्य आरोपियों के पास से पांच लाख रुपये से अधिक के जाली नोट, तीन हजार नेपाली नोट, अवैध असलहे, कारतूस, और सुतली बम बरामद किए हैं। यह सारी सामग्री इस गिरोह की गंभीर आपराधिक गतिविधियों को उजागर करती है। जाली नोटों का यह कारोबार सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं है, बल्कि इसके जरिए देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को भी खतरे में डाला जा रहा था।
गिरोह के अन्य सदस्य और सपा का संबंध
इस मामले में पकड़े गए अन्य प्रमुख आरोपियों में नौशाद खान और औरंगजेब शामिल हैं, जिनका भी समाजवादी पार्टी से गहरा संबंध है। नौशाद खान सपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है और वह भी इस अंतर्राष्ट्रीय जाली नोट गिरोह का एक अहम सदस्य है। औरंगजेब भी राजनीति में सक्रिय था और जाली नोटों के कारोबार में उसकी भी अहम भूमिका थी।
इन नेताओं की गिरफ्तारी के बाद सियासी गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। सपा जिलाध्यक्ष शुकरुल्लाह अंसारी ने आरोप लगाया कि इन नेताओं को फंसाया गया है और इसे पार्टी को बदनाम करने की साजिश करार दिया। उन्होंने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, जिससे इस पूरे प्रकरण की सच्चाई सामने आ सके।
प्रयागराज में नकली नोट छापने वाले गिरोह पर कार्रवाई
इसी बीच, प्रयागराज में नकली नोट छापने वाले एक अन्य गिरोह का भी पर्दाफाश हुआ था। 28 अगस्त को जामिया हबीबिया मदरसे में नकली नोट छापने का बड़ा मामला सामने आया, जिसमें चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इन आरोपियों में मदरसे का कार्यवाहक प्रिंसिपल तफ़सीरुल आरफीन भी शामिल था। हाल ही में जिला अदालत ने इन चारों आरोपियों की पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर की है। पुलिस को उम्मीद है कि इनसे पूछताछ के दौरान और भी कई महत्वपूर्ण खुलासे हो सकते हैं।
जाली नोट गिरोहों का बढ़ता खतरा
उत्तर प्रदेश में जाली नोटों के इन दोनों मामलों से साफ होता है कि नकली नोटों का कारोबार एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इस कारोबार के पीछे बड़े अंतरराष्ट्रीय गिरोह सक्रिय हैं, जो न सिर्फ नकली नोटों का लेन-देन कर रहे हैं बल्कि अवैध हथियारों और विस्फोटकों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। यह न सिर्फ देश की आर्थिक व्यवस्था को कमजोर कर रहा है, बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से भी गंभीर चुनौती पेश कर रहा है।
निष्कर्ष
कुशीनगर और प्रयागराज में जाली नोटों का पर्दाफाश पुलिस की एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इस मामले से जुड़े राजनीतिक और आपराधिक तत्वों की जांच करना भी बेहद जरूरी है। जाली नोटों का कारोबार सिर्फ एक आर्थिक अपराध नहीं है, बल्कि इसके पीछे छिपी गहरी साजिशों को उजागर करना भी आवश्यक है। जनता और राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे इस तरह के अपराधों के खिलाफ एकजुट होकर सख्त कदम उठाएं, ताकि देश की सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता बनी रहे।