बोकारो

झारखंड की राजनीति में पारदर्शिता और जनहित के नाम पर कई नारे गूंजते हैं, लेकिन जब उन्हीं नारों से निकली पार्टी के प्रत्याशी पर करोड़ों की ठगी का मामला सामने आए, तो सवाल उठना स्वाभाविक है। जय राम महतो की पार्टी जय लोक कल्याण मोर्चा (JLKM) की बोकारो विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुकीं सरोज कुमारी और उनके पति मदन मोहन, जो कि एक सरकारी शिक्षक हैं, पर ₹1.34 करोड़ की ठगी का मामला दर्ज किया गया है।

शिकायतकर्ता हरी नारायण सिंह, जिन्होंने इस प्रकरण की शिकायत बोकारो पुलिस और वरीय अधिकारियों से की, का आरोप है कि उन्हें फ्लैट और व्यावसायिक निवेश के नाम पर आर्थिक रूप से ठगा गया।

मामले की पूरी पड़ताल: क्या है ठगी का तरीका?

  • सरोज कुमारी और मदन मोहन ने वर्ष 2020 से 2023 के बीच हरी नारायण सिंह से किश्तों में ₹1,34,75,000 की राशि ली।
  • दावा किया गया कि राशि का उपयोग फ्लैट खरीद और व्यवसाय में साझेदारी के लिए किया जाएगा।
  • हकीकत यह निकली कि जिस फ्लैट को बेचा गया, वह पहले से ही बैंक से गिरवी था, और न तो बिक्री का कोई वैध दस्तावेज दिया गया और न ही रजिस्ट्री करवाई गई।
  • जब शिकायतकर्ता ने पैसे वापस मांगे, तो उन्हें धमकाया गया और फ्लैट खाली करने को कहा गया।

FIR दर्ज, आरोपी फरार

हरी नारायण सिंह द्वारा लगातार शिकायत करने के बाद मामला अब बोकारो पुलिस द्वारा संज्ञान में लिया गया और प्राथमिकी दर्ज की गई है। लेकिन अब तक दोनों आरोपी – सरोज कुमारी और मदन मोहन – फरार हैं।

सरकारी शिक्षक जमीन के कारोबार में?

मदन मोहन, एक सरकारी विद्यालय के शिक्षक हैं। सेवा शर्तों के अनुसार, एक शिक्षक किसी व्यावसायिक गतिविधि या रियल एस्टेट निवेश में संलिप्त नहीं हो सकता, लेकिन यहां वे प्रत्यक्ष रूप से एक ज़मीन और फ्लैट कारोबार में साझेदार पाए जा रहे हैं।

यह स्थिति प्रशासनिक स्तर पर भी चिंता का विषय है कि क्या अब शिक्षक का दर्जा भी ठगी के कारोबार की ढाल बन चुका है?

राजनीतिक सवाल: क्या जय राम महतो इससे अलग हो सकते हैं?

यह सच है कि जय राम महतो इस मामले में प्रत्यक्ष रूप से संलिप्त नहीं हैं, लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि:

  • सरोज कुमारी JLKM की अधिकृत प्रत्याशी थीं।
  • उन्होंने JLKM के चुनाव चिन्ह पर वोट मांगे और पार्टी के नाम का लाभ लिया।
  • अब जब मामला FIR तक पहुंच चुका है, तो पार्टी की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह अपनी स्थिति स्पष्ट करे।

जय राम महतो, जो खुद को पारदर्शिता और जनहित की राजनीति का चेहरा बताते हैं, अब तक इस मामले पर मौन साधे हुए हैं।

पार्टी की चुप्पी क्या संकेत देती है?

  • क्या JLKM को सरोज कुमारी की पृष्ठभूमि का पता नहीं था?
  • क्या टिकट वितरण के समय उम्मीदवार के खिलाफ कोई वैधानिक जांच नहीं की जाती?
  • क्या अब पार्टी को सार्वजनिक रूप से यह नहीं कहना चाहिए कि वह ऐसे आचरण का समर्थन नहीं करती?

इन सवालों का उत्तर जनता को देना JLKM की नैतिक जिम्मेदारी है।

निष्कर्ष: मामला व्यक्तिगत नहीं, सार्वजनिक विश्वास का है

यह प्रकरण केवल ₹1.34 करोड़ की ठगी नहीं है, बल्कि यह इस बात की चेतावनी है कि राजनीति में प्रत्याशी चयन की पारदर्शिता किस हद तक गिर चुकी है। एक सरकारी शिक्षक, एक राजनीतिक प्रत्याशी और करोड़ों की ठगी — यह कोई निजी झगड़ा नहीं, बल्कि सार्वजनिक विश्वास के साथ धोखा है।

यदि जय लोक कल्याण मोर्चा इस मामले पर चुप्पी साधे रहता है, तो यह चुप्पी सहयोग का प्रतीक समझी जाएगी।

अब ज़रूरी है कि:

  1. JLKM इस पर स्पष्ट आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी करे।
  2. जय राम महतो खुद सामने आकर इस प्रत्याशी की स्थिति स्पष्ट करें।
  3. शिक्षा विभाग मदन मोहन पर सेवा शर्तों के उल्लंघन के तहत कार्रवाई करे।
  4. पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए तेजी से कार्रवाई करे।

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