झारखंड सरकार ने शहरी क्षेत्रों में काम की तलाश में जुटने वाले दिहाड़ी मजदूरों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य के 49 नगर निकायों में ‘श्रमिक चौक’ (Shramik Chowk) बनाए जाएंगे, जहां मजदूरों को बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी।

यह योजना केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय की दीनदयाल जन आजीविका योजना (शहरी) के तहत क्रियान्वित की जाएगी।

‘श्रमिक चौक’ में मिलेंगी ये सुविधाएं

  1. बैठने की व्यवस्था
  2. साफ-सफाई और शौचालय की सुविधा
  3. पेयजल और छाया की व्यवस्था
  4. मजदूरों और नियोक्ताओं के बीच संवाद के लिए प्लेटफॉर्म
  5. आश्रय गृहों से रात्रि विश्राम की सुविधा (बड़े शहरों में)

रांची, जमशेदपुर और धनबाद में 50-50 बेड के आश्रय गृह

राज्य के तीन प्रमुख शहरी क्षेत्रों — रांची, जमशेदपुर और धनबाद — में 50-50 बेड वाले आधुनिक आश्रय गृह (Shelter Homes) बनाए जाएंगे। यहां पर गर्मी, सर्दी और बारिश में सड़क पर रात गुजारने को मजबूर श्रमिकों को सुरक्षित आश्रय मिलेगा।

यह सुविधा खासतौर पर उन मजदूरों के लिए उपयोगी होगी जो अन्य राज्यों से रोजगार की तलाश में झारखंड आते हैं।

स्वयं सहायता समूहों और महिलाओं को मिलेगा लाभ

Deendayal Antyodaya Yojana – National Urban Livelihoods Mission (DAY-NULM) के तहत:

  • 4500 नए स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाए जाएंगे।
  • 300 एरिया लेवल फेडरेशन (ALF) का गठन होगा।
  • चयनित महिलाओं को उद्यमिता विकास कार्यक्रम (EDP) का प्रशिक्षण मिलेगा।
  • 3000 शहरी गरीबों को सूक्ष्म ऋण मिलेगा, जिसमें ब्याज अनुदान की सुविधा होगी।

100 करोड़ रुपये की लागत, केंद्र और राज्य का योगदान

इस योजना पर 2025-25 के वित्तीय वर्ष में कुल 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें केंद्र और राज्य सरकार का अनुपात 60:40 रहेगा।

इस योजना का उद्देश्य शहरी गरीबों को आजीविका, कौशल विकास, स्वरोजगार और सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना है।

निष्कर्ष: झारखंड सरकार की सराहनीय पहल

झारखंड सरकार की यह पहल न केवल शहरी मजदूरों की दुश्वारियों को कम करेगी, बल्कि उन्हें एक संगठित, सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल भी प्रदान करेगी।

‘श्रमिक चौक’ और ‘आश्रय गृह’ जैसे कदम झारखंड के शहरी विकास और सामाजिक समावेशन की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकते 

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