झारखंड सरकार द्वारा संशोधित पेसा (पंचायत विस्तार अनुसूचित क्षेत्र) नियमावली लागू होने के बाद ग्रामसभाओं को अपने क्षेत्र में विकास योजनाओं पर व्यापक अधिकार मिलेंगे। पंचायती राज विभाग ने स्थानीय समुदायों और पारंपरिक संगठनों के सुझावों के आधार पर नियमावली को अंतिम रूप दिया है।
इस नियमावली के तहत ग्रामसभा को न केवल विकास योजनाओं की निगरानी का अधिकार मिलेगा, बल्कि वे लघु खनिजों, वनोपज, और स्थानीय संसाधनों पर भी स्वामित्व स्थापित कर सकेंगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वशासन और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
ग्रामसभाओं को मिलेंगे ये प्रमुख अधिकार:
- योजनाओं की निगरानी:
- ग्रामसभा अपने गांव में चल रही सरकारी योजनाओं का औचक निरीक्षण कर सकेगी।
- सोशल ऑडिट के साथ-साथ निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जांच का अधिकार भी होगा।
- खनिजों और वनोपज पर अधिकार:
- मिट्टी, पत्थर, और बालू जैसे लघु खनिजों पर ग्रामसभा का अधिकार होगा।
- व्यावसायिक बालू घाटों पर कार्य करने के लिए ग्रामसभा से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
- वनोपज की खरीद-बिक्री के लिए न्यूनतम मूल्य तय करने का अधिकार।
- पारंपरिक अधिकार और विवाद निपटारा:
- पारंपरिक परंपराओं का दस्तावेजीकरण किया जाएगा।
- ग्रामसभा विवादों का निपटारा करेगी, जिसमें जमीन, पारिवारिक एवं सामाजिक मामलों की सुनवाई शामिल होगी।
- गिरफ्तारी जैसे मामलों में पुलिस को ग्रामसभा से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
- स्थानीय संस्थाओं और कर्मियों पर नियंत्रण:
- ग्रामसभा सभी सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थानों के कार्यों की समीक्षा करेगी।
- सरकारी कर्मचारी अपने कार्यों की रिपोर्ट ग्रामसभा को प्रस्तुत करेंगे।
- साल में चार बार समीक्षा बैठकें होंगी।
वनोपज और स्थानीय उत्पादों पर अधिकार
ग्रामसभा को स्थानीय वनोपज उत्पादों जैसे औषधीय पौधों, कंद-मूल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर मालिकाना हक दिया गया है। इससे न केवल आदिवासी समुदायों को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि उनके पारंपरिक अधिकार भी सुरक्षित रहेंगे।
पारंपरिक संगठनों की भागीदारी
संशोधित पेसा नियमावली तैयार करने में आदिवासी समुदायों और पारंपरिक संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। सरकार ने इनके द्वारा दिए गए सुझावों में से कई को नियमावली में शामिल किया है।
संविधान और पेसा कानून का दायरा
पंचायती राज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पेसा कानून संविधान के भाग 9 का विस्तार है, जो पंचायती स्वशासन व्यवस्था का प्रावधान करता है। संविधान की 7वीं अनुसूची के तहत स्थानीय सरकार से जुड़े विषयों पर राज्य सरकार कानून बनाने के लिए अधिकृत है। झारखंड में भी इसी प्रक्रिया के तहत पेसा नियमावली बनाई गई है।
पेसा लागू करने वाले अन्य राज्य
झारखंड के अलावा देश के 10 अन्य राज्यों ने भी अपने पंचायती कानूनों को पेसा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार संशोधित किया है। इनमें छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, और ओडिशा जैसे राज्य शामिल हैं।
सशक्त ग्रामसभाएं, आत्मनिर्भर गांव
पेसा नियमावली से ग्रामसभा को न केवल स्थानीय विकास योजनाओं का अधिकार मिलेगा, बल्कि वे वन संपदा, खनिज, और संस्थागत गतिविधियों पर भी सीधा नियंत्रण रख सकेंगी। यह नियमावली झारखंड के आदिवासी और ग्रामीण समाज को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
(यह लेख झारखंड में पेसा नियमावली के महत्व और प्रभाव को समझाने के लिए है। आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए महत्वपूर्ण है।)