झारखंड के लगभग 58 हजार पारा शिक्षकों (सहायक अध्यापकों) को मानदेय बढ़ोतरी की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। अगस्त 2024 में हुए समझौते के तहत उनके मानदेय में 1000 रुपये की बढ़ोतरी का वादा किया गया था, लेकिन यह अब तक अमल में नहीं आ सका है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में पारा शिक्षकों को इस बढ़े हुए मानदेय का लाभ मिलने की संभावना बेहद कम नजर आ रही है।
अगस्त 2024 में हुआ था फैसला
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के तत्कालीन मंत्री बैद्यनाथ राम और पारा शिक्षक संगठनों के बीच अगस्त 2024 के अंतिम सप्ताह में मानदेय बढ़ाने पर सहमति बनी थी। इसके अलावा, पारा शिक्षकों को भविष्य निधि (ईपीएफ) का लाभ देने का भी निर्णय लिया गया था।
ईपीएफ पर अमल, लेकिन मानदेय बढ़ोतरी लंबित
ईपीएफ योजना के तहत नवंबर 2024 से ही पारा शिक्षकों के मानदेय से कटौती शुरू हो गई है और राज्य सरकार भी इसमें अपना अंशदान दे रही है। इसके बावजूद, मानदेय में 1000 रुपये की बढ़ोतरी अभी तक लागू नहीं की गई है।
पांच महीने से इंतजार, एरियर मिलने की उम्मीद भी कम
सितंबर 2024 से पारा शिक्षकों को बढ़ा हुआ मानदेय देने की बात थी, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। पांच महीने गुजर जाने के बाद भी यह मामला फंसा हुआ है। ऐसे में शिक्षकों को एरियर मिलने की उम्मीद भी कमजोर पड़ती नजर आ रही है।
वित्तीय वर्ष और बजट से उम्मीदें
वर्तमान वित्तीय वर्ष के आखिरी महीनों में यह बढ़ोतरी लागू होना मुश्किल लग रहा है। हालांकि, राज्य के आगामी बजट से पारा शिक्षकों को उम्मीद है कि उनकी मांगों को पूरा किया जाएगा और मानदेय में बढ़ोतरी के साथ एरियर का भी समाधान निकलेगा।
पारा शिक्षकों में निराशा, संगठन भी सुस्त
शिक्षा विभाग और सरकार की सुस्ती ने पारा शिक्षकों को निराश किया है। संगठन भी इस मुद्दे पर सक्रिय नहीं दिख रहे, जिससे शिक्षकों की स्थिति और कठिन हो गई है।
पारा शिक्षकों को उम्मीद है कि बजट सत्र में उनकी समस्याओं का समाधान होगा। लेकिन तब तक बढ़ा हुआ मानदेय उनके लिए एक अधूरी उम्मीद ही बना रहेगा।
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