नई उत्पाद नियमावली 2025 को मिली कैबिनेट से मंजूरी, अब निजी हाथों में रहेगी खुदरा बिक्री की व्यवस्था
रांची: झारखंड सरकार ने राज्य की शराब नीति में बड़ा बदलाव करते हुए नई उत्पाद नियमावली 2025 को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस नियमावली के साथ कुल 17 प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई। सबसे अहम फैसला यह रहा कि अब राज्य में विदेशी शराब सस्ती होगी, जबकि बीयर के दामों में आंशिक बढ़ोतरी संभव है।
खुदरा बिक्री का निजीकरण
नई नीति के तहत अब झारखंड में शराब की खुदरा बिक्री निजी हाथों में होगी, जबकि थोक वितरण का जिम्मा झारखंड बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JBCL) के पास रहेगा। खुदरा दुकानों का आवंटन लॉटरी प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा। किसी एक व्यक्ति को अधिकतम 36 दुकानों के संचालन की अनुमति होगी, वह भी अलग-अलग जिलों में।
विदेशी शराब पर वैट में कटौती, बीयर होगी महंगी
राज्य सरकार ने विदेशी शराब पर वैट की दरों में कमी करने का निर्णय लिया है, जिससे आयातित ब्रांड्स की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट आने की संभावना है। सरकार को उम्मीद है कि इससे विदेशी शराब की बिक्री में 250 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
दूसरी ओर, बीयर और देशी शराब पर कर दरों में आंशिक संशोधन किया गया है। सूत्रों के अनुसार, बीयर की कीमतों में 10 रुपये तक की वृद्धि हो सकती है।
देशी शराब के दामों में संतुलन
अवैध तरीके से बनने वाली महुआ चुलाई शराब की बढ़ती खपत को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने देशी शराब की उत्पाद शुल्क दरों में कटौती की है। इससे यह शराब अब महुआ चुलाई शराब के समान कीमत पर उपलब्ध हो सकेगी। अनुमान है कि इससे देशी शराब की बिक्री में 500 प्रतिशत तक का इजाफा संभव है।
एमआरपी से अधिक वसूली पर सख्ती
विभाग को कई दुकानों से अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से ज्यादा कीमत वसूलने की शिकायतें मिली थीं। इस पर उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव मनोज कुमार ने स्पष्ट किया कि नई नियमावली लागू होने के बाद इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य में कुल 1453 शराब दुकानें संचालित हो रही हैं, और नई नीति को लागू करने में लगभग एक माह का समय लगेगा।
राजस्व बढ़ाने की रणनीति
सरकार का अनुमान है कि विदेशी और देशी शराब की कीमतों में बदलाव से राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी। नीति के पीछे मुख्य उद्देश्य बाजार को विनियमित करना, अवैध बिक्री पर नियंत्रण और राजस्व संग्रह बढ़ाना है।
कैबिनेट बैठक के अन्य निर्णय
इस बैठक में नई शराब नीति के अलावा अन्य 16 प्रस्तावों को भी स्वीकृति दी गई। हालांकि उनका विवरण विस्तृत रूप से साझा नहीं किया गया, लेकिन शराब नीति का फैसला इस बैठक का सबसे चर्चित और प्रभावी निर्णय रहा।
निष्कर्ष
झारखंड सरकार की नई शराब नीति राज्य के उत्पाद बाजार को नए ढर्रे पर लाने की कोशिश है। विदेशी शराब के दाम घटाकर और देशी शराब को औपचारिक व्यवस्था में लाकर एक ओर जहां सरकार राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रही है, वहीं दूसरी ओर बीयर जैसी लोकप्रिय पेय पदार्थ के दामों में वृद्धि आम उपभोक्ताओं के बजट को प्रभावित कर सकती है। आने वाले महीनों में यह स्पष्ट होगा कि यह नीति अपने उद्देश्यों में कितनी सफल हो पाती