रांची। झारखंड सरकार ने वर्ष 2025 के लिए राज्य की नई शराब नीति को स्वीकृति दे दी है। “झारखंड आबकारी (खुदरा शराब दुकानों का संचालन एवं नवीनीकरण) नियमावली, 2025” के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। सबसे बड़ा परिवर्तन यह है कि अब शराब की खुदरा बिक्री निजी हाथों में सौंप दी जाएगी, जिससे राज्य सरकार की एकाधिकार व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।
नई नीति का उद्देश्य पारदर्शिता, राजस्व वृद्धि और वितरण प्रणाली में प्रतिस्पर्धा लाना है। हालांकि, इसे लेकर राजनीतिक हलकों में तीखा विरोध भी देखा जा रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं इस नीति के प्रमुख बिंदु:
1. खुदरा दुकानें अब निजी हाथों में
अब राज्य सरकार की नोडल एजेंसी JSBCL केवल थोक आपूर्ति का कार्य देखेगी। राज्यभर में 1,443 शराब दुकानों का संचालन निजी एजेंसियों द्वारा किया जाएगा। इच्छुक आवेदकों से लाइसेंस के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे।
2. लाइसेंसिंग का पारदर्शी सिस्टम: ई-लॉटरी
सरकार ने लाइसेंस वितरण में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ई-लॉटरी प्रणाली को अपनाया है।
- एक व्यक्ति को एक जिले में अधिकतम 12 दुकानों के संचालन की अनुमति होगी।
- पूरे राज्य में एक व्यक्ति अधिकतम 36 दुकानों का लाइसेंस प्राप्त कर सकेगा।
इस व्यवस्था का उद्देश्य बड़े व्यावसायिक घरानों की एकाधिकार प्रवृत्ति को रोकना है।
3. शराब दुकानों का संचालन समय बढ़ा
अब शराब की खुदरा दुकानें रात 11 बजे तक खुली रह सकेंगी। पहले यह समयसीमा रात 10 बजे तक सीमित थी। यह बदलाव उपभोक्ता सुविधा और व्यापार वृद्धि को ध्यान में रखकर किया गया है।
4. डिपार्टमेंटल स्टोर्स से शराब बिक्री पर रोक
नीति के प्रारंभिक मसौदे में 2,000 वर्ग फीट से बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर्स को शराब बिक्री की अनुमति देने का प्रावधान था। हालांकि, व्यापक जनविरोध और सामाजिक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव हटा दिया गया है।
5. कर ढांचे में बदलाव
- सरकार ने VAT दर में कमी की है, जिससे शराब के कुछ ब्रांड सस्ते हो सकते हैं।
- दूसरी ओर, एक्साइज ड्यूटी और ट्रांसपोर्ट शुल्क बढ़ा दिए गए हैं।
- अनुमान है कि करीब 300 लोकप्रिय ब्रांडों की कीमतों में आंशिक वृद्धि हो सकती है।
6. लाइसेंस शर्तें और निगरानी व्यवस्था
- किसी भी खुदरा दुकान में अवैध शराब पाए जाने पर तुरंत लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
- बार-बार नियम उल्लंघन पर भारी जुर्माने का प्रावधान है।
- सभी दुकानों को डिजिटल भुगतान प्रणाली से लैस किया जाएगा, जिससे ट्रांजेक्शन की निगरानी संभव होगी।
7. राजनीतिक विवाद और विरोध
विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इस नीति को झारखंड का “तीसरा शराब घोटाला” बताया है। उनका आरोप है कि यह नीति बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली है।
वहीं, सरकार का दावा है कि इस कदम से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि राज्य को राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
8. आदिवासी क्षेत्रों में विशेष लाइसेंस का प्रस्ताव
Tribal Advisory Council (TAC) की बैठक में सुझाव दिया गया है कि आदिवासी बहुल पर्यटन क्षेत्रों में विशेष रूप से शराब दुकानों के लाइसेंस दिए जाएं। हालांकि, धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को इससे बाहर रखने की सिफारिश की गई है।
निष्कर्ष
झारखंड की नई शराब नीति 2025 प्रशासनिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से एक बड़ा बदलाव लेकर आई है। जहां एक ओर सरकार इसे पारदर्शी और राजस्व-सुधारक कदम बता रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे संभावित घोटाले की भूमिका मान रहा है। इस नीति का वास्तविक असर आने वाले महीनों में राज्य की जमीन पर देखने को मिलेगा।