रांची
कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए सीमापार आतंक के ठिकानों पर सर्जिकल ऑपरेशन अंजाम दिया, जिसे सैन्य स्तर पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। अब इसी सुरक्षा दृष्टिकोण के तहत झारखंड के 6 जिलों में 3 घंटे की हाई-इंटेंसिटी मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है, जिसका मकसद है — राज्य की आपदा प्रतिक्रिया क्षमता, समन्वय तंत्र, और जनता के बीच जागरूकता की गहराई को परखना।
इन 6 जगहों पर होगी मॉक ड्रिल:
- रांची (राजधानी)
- जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम)
- बोकारो (शहरी क्षेत्र)
- गोड्डा (संवेदनशील सीमाई जिला)
- साहिबगंज (गंगा किनारे स्थित सामरिक दृष्टि से अहम)
- गोमिया (बोकारो जिले का औद्योगिक क्षेत्र)
क्या है मॉक ड्रिल का उद्देश्य?
इस मॉक ड्रिल का प्रमुख उद्देश्य किसी आतंकी हमले, रेलवे-एयरपोर्ट जैसे संवेदनशील स्थानों पर हमले या प्राकृतिक आपदा जैसी आपातकालीन स्थितियों में प्रशासन की ‘रिस्पांस टाइम’, समन्वय, जन-संचार और राहत कार्यों की प्रभावशीलता को जांचना है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की सीधी निगरानी
मंगलवार को केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से झारखंड के अधिकारियों के साथ मॉक ड्रिल की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों तक सिविल डिफेंस तंत्र को मज़बूत किया जाए और डिजास्टर मैनेजमेंट यूनिट को हर स्तर पर एक्टिव रखा जाए।
राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक: तैयारियों की पूरी जांच
झारखंड मंत्रालय में मुख्य सचिव अलका तिवारी की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक आयोजित हुई। बैठक में यह तय किया गया कि:
- आपात स्थिति में एम्बुलेंस, अस्पताल और ब्लड बैंक तक तुरंत पहुंच कैसे हो
- रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर हमले की स्थिति में प्राथमिक रिस्पांस कैसा होगा
- कम्युनिकेशन नेटवर्क, वायरलेस और इंटरनेट पर निर्भरता का आकलन
- ग्रामीण क्षेत्रों में SP स्तर पर भी अभ्यास
राजेश कुमार शर्मा बने सिविल डिफेंस कमिश्नर
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव राजेश कुमार शर्मा (IAS, 2003 बैच) को राज्य का पहला सिविल डिफेंस कमिश्नर नियुक्त किया गया है। यह पद आपदा प्रतिक्रिया रणनीति में समन्वय बढ़ाने और प्रशिक्षण प्रक्रिया को सशक्त बनाने के उद्देश्य से सृजित किया गया है।
IG का बयान: मॉक ड्रिल से घबराएं नहीं, यह पूर्व-निर्धारित अभ्यास है
IG ऑपरेशन अमोल वी. होमकर ने बताया कि मॉक ड्रिल पूर्व निर्धारित है। इससे घबराने की ज़रूरत नहीं है। यह अभ्यास सेना, पुलिस, SDRF, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के बीच त्वरित और प्रभावी समन्वय के लिए किया जा रहा है।
ड्रिल से निकलेगी कमियों की सूची
इस मॉक ड्रिल के बाद प्रशासन द्वारा एक इंटरनल ऑडिट रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसमें देखा जाएगा कि:
- रिस्पांस टाइम कितना तेज रहा?
- किस स्तर पर तालमेल में कमी आई?
- क्या स्थानीय नागरिकों तक जानकारी समय पर पहुंची?
- क्या सुरक्षा एजेंसियों के बीच रेड अलर्ट पर तेजी रही?
The Mediawala Express की विशेष टिप्पणी:
ऑपरेशन सिंदूर के बाद झारखंड में होने जा रही यह मॉक ड्रिल केवल एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि भविष्य में किसी भी आतंकी खतरे या आपदा के प्रति एक रणनीतिक रिहर्सल है। यह भारत की प्रतिक्रिया क्षमताओं और समन्वित तंत्र की जीवंत परीक्षा होगी। साथ ही, यह भी दिखाता है कि अब राज्य स्तर पर भी आपदा प्रबंधन को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ कर देखा जा रहा है।