झारखंड में JSSC-CGL परीक्षा के दौरान इंटरनेट सेवा को बंद करने के फैसले पर रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे राज्य की जनता के खिलाफ एक अघोषित आपातकाल करार दिया और कहा कि यह सरकार अपने कामों से आपातकाल की सारी हदें पार कर चुकी है।
सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना
संजय सेठ ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के गठबंधन वाली यह सरकार भ्रष्टाचार और अपराध रोकने में विफल रही है। उन्होंने कहा, “यह सरकार अपराध को रोकने की बजाय जनता पर प्रतिबंध लगाकर समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयास कर रही है।” सेठ ने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि अपराध बढ़ गया है तो जनता को घरों में कैद कर दो, सड़क पर दुर्घटना बढ़ गई है तो लोगों को सड़क पर निकलने से ही मना कर दो, और इसी तरह अब दो दिनों के लिए झारखंड में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।
इंटरनेट बंदी से हुई असुविधाएं
संजय सेठ ने वर्तमान समय में इंटरनेट की उपयोगिता पर जोर देते हुए कहा कि आज के दौर में इंटरनेट केवल मनोरंजन या सोशल मीडिया का माध्यम नहीं रह गया है, बल्कि यह शिक्षा, रोजगार और रोजमर्रा की जरूरतों का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। उन्होंने बताया कि झारखंड के लाखों युवा JSSC-CGL जैसी परीक्षाओं के सिलसिले में विभिन्न शहरों का सफर करते हैं, उन्हें ट्रेन का स्टेटस देखना होता है, बस का टिकट बनवाना होता है और UPI के माध्यम से भुगतान करना होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि कई बार परीक्षा से संबंधित दस्तावेज़ मोबाइल में होते हैं और उनका प्रिंट लेना होता है, इसके लिए भी इंटरनेट की जरूरत होती है। परीक्षा केंद्रों की लोकेशन तक पहुंचने के लिए भी इंटरनेट ही एकमात्र सहारा है। सेठ ने सवाल उठाते हुए कहा कि इतनी महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करने के बावजूद सरकार ने इंटरनेट सेवा बंद कर दी, जिससे युवाओं को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इंटरनेट बंदी के पीछे साजिश की संभावना
संजय सेठ ने यह भी आशंका जताई कि इंटरनेट बंद करने के पीछे एक बड़ी साजिश हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से कई युवा परीक्षा देने से वंचित हो सकते हैं, और कुछ परीक्षा केंद्र समय पर न पहुंच पाने के कारण परीक्षा से वंचित रह सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह के कदम राज्य सरकार के इतिहास में पहले भी देखे गए हैं और यह कोई नई बात नहीं है।
जम्मू-कश्मीर के मुद्दे से तुलना
सेठ ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि जो लोग जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी और आतंकवादी घटनाओं के कारण इंटरनेट बंद करने पर हल्ला मचाते थे, आज वही लोग झारखंड में इंटरनेट बंद करके अघोषित आपातकाल थोप रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई दी थी, लेकिन अब जब उन्हें अपनी सत्ता की रक्षा करनी है, तो जनता की आवाज को दबाने के लिए इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है।
जनता देगी जवाब
सेठ ने अंत में कहा कि झारखंड की जनता इस सरकार के फैसलों को ध्यान से देख रही है और समय आने पर इसका जवाब जरूर देगी। उन्होंने कहा कि यह सरकार राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने और भ्रष्टाचार रोकने में विफल रही है, और इसी कारण से अपने असफलताओं को छिपाने के लिए इस तरह के कदम उठा रही है।
संक्षेप में, झारखंड में इंटरनेट बंदी पर संजय सेठ का बयान सरकार की कार्यप्रणाली पर एक गंभीर सवालिया निशान खड़ा करता है और यह स्पष्ट करता है कि जनता अब ऐसे फैसलों को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह अपनी नीतियों की समीक्षा करे और जनता की असुविधाओं को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाए।