झारखंड के पर्यटन और धार्मिक स्थलों को जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर पथ निर्माण विभाग ने टूरिस्ट कॉरिडोर और हॉली टूरिस्ट कॉरिडोर का विस्तृत खाका तैयार किया है। इस परियोजना का उद्देश्य राज्य में तेज और सुगम आवागमन सुनिश्चित करना है। इसकी कुल लंबाई 506 किलोमीटर और अनुमानित लागत ₹4647 करोड़ है।
परियोजना का विस्तृत विवरण
- कुल लंबाई: 506 किमी
- टूरिस्ट कॉरिडोर: 342 किमी
- हॉली टूरिस्ट कॉरिडोर: 164 किमी
- कुल लागत: ₹4647 करोड़
- टूरिस्ट कॉरिडोर: ₹3370 करोड़
- हॉली टूरिस्ट कॉरिडोर: ₹1277 करोड़
हॉली टूरिस्ट कॉरिडोर
चार हिस्सों में बनने वाले हॉली टूरिस्ट कॉरिडोर का उद्देश्य धार्मिक स्थलों तक तीव्र और सुगम पहुंच प्रदान करना है। यह रांची के ओरमाझी से शुरू होकर गोला, रजरप्पा, गोमिया, डुमरी और गिरिडीह होते हुए देवघर तक जाएगा।
रूट | लंबाई (किमी) | लागत (करोड़) |
---|---|---|
रजरप्पा-गोमिया | 30 | ₹545 |
गोमिया-डुमरी | 29 | ₹379 |
डुमरी-भीरकीडीह | 73 | ₹- |
भीरकीडीह-देवघर | 32 | ₹353 |
कुल | 164 किमी | ₹1277 करोड़ |
डुमरी से गिरिडीह और देवघर के बीच कुछ हिस्से की तकनीकी स्वीकृति मिल चुकी है। भीरकीडीह से देवघर के 32 किमी लंबे मार्ग का डीपीआर तैयार कर लिया गया है।
टूरिस्ट कॉरिडोर
आठ हिस्सों में बनने वाले टूरिस्ट कॉरिडोर का उद्देश्य झारखंड के पर्यटन स्थलों को जोड़ना है।
रूट | लंबाई (किमी) | लागत (करोड़) |
---|---|---|
सिल्ली-तमाड़ | 24 | ₹250 |
सिसई-घाघरा | 28.3 | ₹300 |
गारू-हेरहंज | 38 | ₹400 |
सगलीम-जोरी | 78 | ₹900 |
पेटरवार-कसमार | 20 | ₹300 |
बालूमाथ-पांकी | 93 | ₹600 |
बालूमाथ-चामा | 42 | ₹420 |
हजारीबाग-टंडवा | 19 | ₹200 |
कुल | 342 किमी | ₹3370 करोड़ |
परियोजना का मार्ग
टूरिस्ट कॉरिडोर का निर्माण सिल्ली-रंगामाटी रोड से शुरू होगा और तमाड़, खूंटी, सिसई, घाघरा, नेतरहाट, गारू, सरयू, लातेहार, हेरहंज होते हुए बालूमाथ और मैकलुस्कीगंज से चामा मोड़ तक जाएगा।
परियोजना की प्रमुख बातें
- राज्य के सभी प्रमुख पर्यटन और धार्मिक स्थलों को जोड़कर यातायात सुगम करना।
- चरणबद्ध तरीके से कॉरिडोर का निर्माण।
- पर्यटन और धार्मिक स्थलों की पहुंच में सुधार से राज्य की आर्थिक प्रगति।
पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार के अनुसार, इस परियोजना के तहत कुछ हिस्सों का निरीक्षण कार्य पूरा हो चुका है और कुछ हिस्सों को तकनीकी स्वीकृति मिल गई है।
निष्कर्ष
झारखंड सरकार की यह पहल राज्य के पर्यटन और धार्मिक स्थलों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के साथ-साथ आर्थिक विकास में भी योगदान देगी।