झारखंड में अवैध खनन मामले के तहत सीबीआई ने साहिबगंज जिले में छापेमारी कर पूर्व जिला खनन अधिकारी विभूति कुमार के ठिकानों से बड़ी मात्रा में नकदी और गहने जब्त किए हैं। यह मामला झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर दर्ज किया गया, जिसमें राज्य सरकार को भारी राजस्व नुकसान पहुंचाने की बात सामने आई है। इस जांच में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व सहयोगी पंकज मिश्रा समेत अन्य नामजद आरोपी भी शामिल हैं।
अवैध खनन के आरोप और छापेमारी की शुरुआत
सीबीआई ने झारखंड के साहिबगंज में अवैध खनन गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों पर कार्रवाई करते हुए कई ठिकानों पर छापेमारी की। अधिकारियों ने बताया कि यह छापेमारी झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर शुरू की गई। 20 नवंबर, 2023 को रांची में सीबीआई की शाखा ने मामला दर्ज किया और साहिबगंज के कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिनमें से पंकज मिश्रा, पवित्र कुमार यादव, राजेश यादव, संजय कुमार यादव, बच्चू यादव, संजय यादव, और सुवेश मंडल प्रमुख नाम हैं।
साहिबगंज में अवैध खनन: राजस्व का बड़ा नुकसान
सीबीआई प्रवक्ता के अनुसार, साहिबगंज जिले में बड़े पैमाने पर अवैध खनन गतिविधियों के कारण राज्य सरकार को भारी नुकसान हुआ है। अवैध खनन के दौरान नियमों की अनदेखी कर खनिजों का अवैध तरीके से उत्खनन किया गया। पत्थरों के खनन के दौरान रॉयल्टी का भुगतान न किया गया, जिससे सरकार के खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ।
विभूति कुमार के परिसरों से नकदी और संपत्ति दस्तावेज बरामद
सीबीआई ने पूर्व जिला खनन अधिकारी विभूति कुमार के परिसरों पर छापेमारी कर कुल 65 लाख रुपये की नकदी और आभूषण बरामद किए। अधिकारियों के अनुसार, विभूति कुमार के परिसरों से लगभग 13 लाख नकद और 52 लाख के आभूषण जब्त किए गए हैं। इसके साथ ही सीबीआई ने 11 लाख रुपए के निवेश, करोड़ों की सात संपत्तियों के दस्तावेज और लगभग 10 लाख रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट रसीदें भी जब्त की हैं।
पंकज मिश्रा और अन्य आरोपियों पर शिकंजा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व सहयोगी पंकज मिश्रा और अन्य आरोपियों पर सीबीआई की छानबीन जारी है। पंकज मिश्रा का नाम भी एफआईआर में शामिल है और उनकी कथित संलिप्तता पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। सीबीआई प्रवक्ता के अनुसार, ये आरोपी अवैध खनन के जरिए राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे थे।
झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश और मामले की गंभीरता
झारखंड हाई कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को पूरी जांच के निर्देश दिए हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता बिजय हंसदा की याचिका पर संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि पिछले ढाई साल से पत्थर माफिया खनन अधिकारियों और अन्य सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध खनन कर रहे हैं। हंसदा ने अपनी याचिका में यह दावा किया था कि उनके जिले के प्राकृतिक संसाधनों का अवैध रूप से शोषण किया जा रहा है, और इस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
अवैध खनन के आर्थिक और पर्यावरणीय दुष्प्रभाव
अवैध खनन गतिविधियां न केवल राज्य के राजस्व को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि इसके कारण पर्यावरणीय समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। प्राकृतिक संसाधनों का अति-शोषण पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ रहा है और स्थानीय निवासियों के लिए भी कठिनाइयां पैदा कर रहा है।
निष्कर्ष
झारखंड में अवैध खनन का यह मामला राज्य की आर्थिक स्थिति और प्रशासनिक तंत्र पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। सीबीआई की इस छापेमारी के बाद अब यह उम्मीद की जा रही है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर हो रही इस जांच से संकेत मिलता है कि राज्य में खनन के क्षेत्र में चल रही गड़बड़ियों पर लगाम लगाई जा सकती है।