रांची

झारखंड में सामने आए शराब घोटाले ने राज्य की प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। इस मामले की जांच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने जो प्रारंभिक निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं, वे संकेत करते हैं कि यह घोटाला केवल लापरवाही या नियोजन की विफलता नहीं, बल्कि एक सुनियोजित संगठित अपराध था जिसमें सरकारी अधिकारियों और निजी कंपनियों की गहरी सांठगांठ रही।

ACB की जांच में सामने आया संगठित षड्यंत्र का जाल

शुरुआती जांच रिपोर्ट के अनुसार, इस घोटाले में उत्पाद विभाग के उच्चाधिकारियों और निजी शराब आपूर्ति कंपनियों के बीच समन्वय स्थापित कर राज्य सरकार को राजस्व में भारी चूना लगाया गया। इसमें नीतिगत फैसलों से लेकर ठेकों के आवंटन, वित्तीय अनुशासन, गारंटी वसूली और निगरानी तक पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हुए हैं।

पूर्व सचिव की संदिग्ध भूमिका

जांच के दायरे में रहे तत्कालीन उत्पाद सचिव और राज्य की शराब कंपनी (JSBCL) के प्रबंध निदेशक रहे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी की भूमिका सबसे अधिक संदेह के घेरे में है। एसीबी सूत्रों के अनुसार, उनके कार्यकाल में एमजीआर (मंथली गारंटी रिव्यू) की कोई समीक्षा नहीं हुई और न ही राजस्व की हानि पर कंपनियों से कोई गारंटी राशि वसूली गई। वित्तीय अनुशासन की पूरी उपेक्षा और निर्णय लेने में निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने वाले रवैये ने इस पूरे प्रकरण को घोटाले की शक्ल दे दी।

ACB को रिमांड की तैयारी, पूछताछ की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की संभावना

शराब घोटाले में गिरफ्तार किए गए वरीय आईएएस और संयुक्त उत्पाद आयुक्त को ACB 40 दिनों के भीतर रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती है। जानकारी के अनुसार, गिरफ्तारी के बाद से आईएएस अधिकारी की तबीयत बिगड़ने के चलते उन्हें रांची के रिम्स में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी किडनी से जुड़ी बीमारी का इलाज चल रहा है। जेल मैनुअल के तहत परिजनों की मुलाकात पर भी रोक लगाई गई है।

200 करोड़ से अधिक का नुकसान, फिर भी निष्क्रिय रहा विभाग

जानकारों के मुताबिक, पिछले नौ महीनों में सरकार को शराब नीति के तहत करीब 200 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, बावजूद इसके विभाग ने प्लेसमेंट एजेंसियों से केवल डिमांड नोटिस जारी कर खानापूर्ति की। न तो गारंटी को नकद में बदला गया, न ही बैंकिंग चैनलों से वसूली की प्रक्रिया आरंभ हुई। यह इंगित करता है कि उच्च अधिकारी इन गारंटी की वास्तविकता से परिचित थे और उन्होंने जानबूझकर निजी कंपनियों को संरक्षण प्रदान किया।

चुनिंदा कंपनियों को अनुचित लाभ

जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ चुनिंदा कंपनियों को ठेके की शर्तों से इतर सुविधाएं दी गईं, जिनमें डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का नियंत्रण, लॉजिस्टिक्स लागत में छूट और क्रय मूल्य में हेरफेर जैसी बातें शामिल हैं। यह घोटाला नीति, वितरण और निगरानी – तीनों स्तरों पर साजिश की स्पष्ट तस्वीर पेश करता है।

राजनीतिक हलकों में मचा हड़कंप

जैसे-जैसे ACB की जांच आगे बढ़ रही है, राज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। इस मामले में बड़े चेहरों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं और आने वाले दिनों में कई प्रभावशाली लोगों की भूमिका की जांच की संभावना प्रबल होती जा रही है।

विशेषज्ञों की निगरानी में स्वास्थ्य जांच

रिम्स में भर्ती अधिकारी के इलाज के लिए एक विशेष मेडिकल बोर्ड गठित किया गया है जिसमें मेडिसिन, नेफ्रोलॉजी और कार्डियोलॉजी विभागों के विशेषज्ञ शामिल हैं। फिलहाल स्वास्थ्य स्थिर बताया जा रहा है और पहले से चल रही दवाएं जारी रखने का निर्णय लिया गया है।

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