आजादी के 75 साल बाद झारखंड के खूंटी, सिमडेगा, गुमला और चतरा जैसे जिलों में पहली बार ट्रेन पहुंचेगी। अब तक रेलवे नेटवर्क से वंचित इन जिलों को रेल मंत्रालय की नई परियोजना के तहत जोड़ा जाएगा। यह पहल झारखंड के परिवहन क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव लाएगी और क्षेत्रीय विकास को गति देगी।
रेल परियोजना की विशेषताएं
इस परियोजना के तहत कुल 120 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाई जाएगी, जो निम्नलिखित मार्गों को कवर करेगी:
- लोहरदगा से गुमला तक: 55 किलोमीटर
- गुमला से सिमडेगा तक: 43 किलोमीटर
- हटिया से खूंटी तक: 20 किलोमीटर
- हजारीबाग से चतरा तक: 42 किलोमीटर
रेलवे बोर्ड ने इस परियोजना के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा कर लिया है और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को मंजूरी के लिए भेज दिया गया है।
रांची डिवीजन के अंतर्गत जुड़ेंगे नए जिले
रेल मंत्रालय ने यह घोषणा की है कि खूंटी, सिमडेगा, गुमला और चतरा को रांची रेल डिवीजन के अंतर्गत शामिल किया जाएगा। खूंटी, सिमडेगा और गुमला को मौजूदा रांची-लोहरदगा रेल लाइन से जोड़ा जाएगा, जबकि चतरा को रांची-हजारीबाग रेल लाइन से जोड़ा जाएगा।
परियोजना का बजट और लक्ष्य
यह परियोजना केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अगस्त 2024 में स्वीकृत 6500 करोड़ रुपये की तीन प्रमुख रेलवे परियोजनाओं का हिस्सा है। इसमें झारखंड के अलावा ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के जिलों को भी शामिल किया गया है। झारखंड की यह परियोजना आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ाने में सहायक होगी।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत में पहली रेल सेवा 16 अप्रैल 1853 को अंग्रेजों द्वारा मुंबई (बोरीबंदर) से ठाणे के बीच चलाई गई थी। 1950 में रेलवे का राष्ट्रीयकरण हुआ, जिससे रेलवे के विकास में तेजी आई। हालांकि, देश के कुछ इलाकों में आज भी रेल की सुविधा नहीं है।
परिवर्तन की नई गाथा
झारखंड के इन जिलों में रेल पहुंचने से न केवल यातायात के साधन उपलब्ध होंगे, बल्कि क्षेत्रीय व्यापार, पर्यटन और उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना झारखंड के आर्थिक और सामाजिक विकास में मील का पत्थर साबित होगी।
यह कदम दिखाता है कि भारत रेलवे के माध्यम से देश के प्रत्येक कोने को जोड़ने की अपनी प्रतिबद्धता को साकार कर रहा है।