झारखंड सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा (झाप्रसे) के तीन अधिकारियों जय कुमार राम, मेरी मड़की और अनिल कुमार सिंह के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने का फैसला लिया है। प्रशासनिक लापरवाही, अनियमितता और नियमों के उल्लंघन के आरोपों को लेकर कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस संबंध में विभाग द्वारा संकल्प भी जारी कर दिया गया है।
इन अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोप
1. जय कुमार राम – कोविड काल में अनियमितता का आरोप
साहेबगंज में पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी एवं जिला नजारत उप समाहर्ता के रूप में कार्यरत रहे जय कुमार राम पर आरोप है कि कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने बिना सक्षम प्राधिकार की स्वीकृति के दवा एजेंसियों को आपूर्ति आदेश जारी कर दिए। इसके चलते सरकारी राशि का अनुचित तरीके से उपयोग किया गया। इस मामले में साहेबगंज के उपायुक्त ने 12 दिसंबर 2023 को आरोप पत्र जारी किया था।
इस मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी कमल जॉन लकड़ा को जांच पदाधिकारी नियुक्त किया गया है। जय कुमार राम को 15 दिनों के भीतर लिखित बचाव पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
2. अनिल कुमार सिंह – अनधिकृत अनुपस्थिति का मामला
कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग में अवर सचिव के पद पर रहे अनिल कुमार सिंह पर अपने कार्यालय से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने का आरोप है। सरकारी कार्यों में लापरवाही और बिना अनुमति के कार्यस्थल से गायब रहने के कारण उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है।
इस मामले में विभाग ने 26 जुलाई 2024 को आरोप पत्र तैयार किया था। जांच प्रक्रिया के लिए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी गणेश कुमार को जांच पदाधिकारी बनाया गया है। अनिल कुमार सिंह को भी 15 दिनों के भीतर अपना लिखित जवाब देने को कहा गया है।
3. मेरी मड़की – मनरेगा योजना में गड़बड़ी का आरोप
मेरी मड़की पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया गया है। प्रशासनिक अनियमितताओं के चलते उन पर सरकारी योजनाओं में वित्तीय अनियमितताओं और नियमों के उल्लंघन के आरोप हैं। उनकी जांच की जिम्मेदारी भी एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी को सौंपी गई है।
क्या होगा आगे?
सरकार द्वारा शुरू की गई विभागीय जांच के आधार पर इन अधिकारियों के भविष्य पर फैसला लिया जाएगा। यदि आरोप साबित होते हैं, तो इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें निलंबन या सेवा समाप्ति जैसे कठोर निर्णय भी शामिल हो सकते हैं।
प्रशासनिक सेवा में अनुशासन और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए झारखंड सरकार ने यह कड़ा कदम उठाया है। अब सबकी नजरें इस जांच के नतीजों पर टिकी हैं, जिससे तय होगा कि दोषी अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की जाएगी।