रांची: झारखंड की राजधानी में इंसानियत को शर्मसार करने वाला मंजर आम हो गया है। बिरसा चौक से लेकर मेन रोड तक, हर तरफ मासूम बच्चे भीख मांगते और नशे में धुत हालत में घूमते हुए नजर आते हैं। ये बच्चे अक्सर कोई नशीला पदार्थ सूंघते हुए दिखते हैं। सवाल यह है कि ये बच्चे कौन हैं? ये कहां से आए हैं? और इनकी इस दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन है?
झारखंड सरकार की नाकामी?
राज्य सरकार और प्रशासन इन बच्चों को रोज़ाना सड़कों पर देखते हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की नजर भी इन बच्चों पर जरूर पड़ी होगी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। क्या सरकार का ध्यान सिर्फ चुनाव और राजनीतिक समीकरणों तक ही सीमित है? जब पूरा राज्य इन मासूमों को दर-दर भटकते हुए देख सकता है, तो फिर सरकार और प्रशासन इन्हें नजरअंदाज क्यों कर रहा है?
मानव तस्करी का बड़ा खेल?
जानकारों का मानना है कि यह सिर्फ भीख मांगने वाले बच्चों का मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे संगठित मानव तस्करी गिरोह सक्रिय है। ये बच्चे किसी गिरोह के इशारे पर भीख मांगते हैं, नशा करते हैं और फिर रात में कहां चले जाते हैं, इसका कोई पता नहीं चलता। सवाल यह भी है कि इन बच्चों को नशे की लत कौन और क्यों लगा रहा है? आखिर इनके पीछे कौन सा नेटवर्क काम कर रहा है?
सरकार की जिम्मेदारी बनती है
झारखंड सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि इन बच्चों के जीवन को बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई करे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस गंभीर मामले को प्राथमिकता देनी चाहिए। सवाल यह है कि सरकार कब जागेगी? क्या किसी बड़े हादसे या किसी अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी रैकेट के खुलासे का इंतजार किया जा रहा है?
क्या करें प्रशासन?
1. सर्वे और पहचान: इन बच्चों की पहचान कर उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और मानव तस्करी के कनेक्शन की जांच की जाए।
2. नशा मुक्ति और पुनर्वास: नशे की गिरफ्त में फंसे इन बच्चों के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।
3. माफिया पर कार्रवाई: इन बच्चों को नियंत्रित करने वाले गिरोह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।
4. बाल संरक्षण योजना: सरकार को तुरंत एक कार्ययोजना बनाकर ऐसे बच्चों को शिक्षा और आश्रय देना चाहिए।
अगर झारखंड सरकार जल्द इस मामले पर ध्यान नहीं देती है, तो यह उसकी सबसे बड़ी असफलता मानी जाएगी। बच्चों का बचपन सड़क पर नशे और भीख में बर्बाद हो रहा है, और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। क्या मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जवाब देंगे कि इन बच्चों की यह दुर्दशा आखिर कब खत्म होगी?