झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर 4000 रुपये का हर्जाना लगाया है। यह मामला राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में हुए कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है, जिसमें उन पर 11 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत लेने का आरोप है। अदालत ने यह हर्जाना बार-बार समय मांगने के बावजूद जवाब दाखिल न करने के कारण लगाया है। अदालत ने निर्देश दिया है कि यह राशि झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (Jharkhand State Legal Services Authority) में जमा कराई जाए।
क्या है पूरा मामला?
मधु कोड़ा पर मुख्यमंत्री पद का दुरुपयोग करने और रिश्वत लेकर एक निजी कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप है। यह मामला 2006-2008 के दौरान उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल से जुड़ा है।
आरोपों का विवरण:
• रिश्वतखोरी का आरोप:
मधु कोड़ा पर आरोप है कि उन्होंने हैदराबाद की आईवीआरसीएल (IVRCL) नामक बिजली कंपनी के निदेशक डीके श्रीवास्तव से मुंबई में 11.40 करोड़ रुपये रिश्वत के रूप में लिए थे।
• अनुचित ठेके का मामला:
इस घूसखोरी के बदले में कोड़ा ने लातेहार, गढ़वा, पलामू समेत छह जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण का ठेका आईवीआरसीएल को दिया था। यह ठेका कथित रूप से नियमों को ताक पर रखकर दिया गया था, जिससे सरकार को बड़ा नुकसान हुआ।
• सीबीआई जांच और जेल:
इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा की गई थी। जांच के बाद मधु कोड़ा को गिरफ्तार किया गया और उन्हें ढाई साल तक जेल में रहना पड़ा।
कोर्ट में मामला और हर्जाना क्यों लगाया गया?
मधु कोड़ा ने निचली अदालत द्वारा आरोप तय किए जाने को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि आरोप गलत हैं और उन पर लगे आरोपों की कानूनी समीक्षा होनी चाहिए।
हालांकि, इस मामले में उनकी ओर से बार-बार जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा गया, लेकिन हर बार कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया।
कोर्ट द्वारा पहले भी लगाया गया था हर्जाना:
• 13 दिसंबर 2024: अदालत ने 1000 रुपये का हर्जाना लगाया।
• 17 जनवरी 2025: अदालत ने 2000 रुपये का हर्जाना लगाया।
• अब 2025 में: अदालत ने फिर से 4000 रुपये का हर्जाना लगाया, क्योंकि अब तक कोड़ा की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है।
अदालत का आदेश और अगली सुनवाई
झारखंड हाई कोर्ट ने इस बार सख्त रवैया अपनाते हुए हर्जाना लगाते हुए कहा कि बार-बार समय देने के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किया गया, जो अदालत की प्रक्रिया में देरी करने का संकेत है।
अदालत ने आदेश दिया है कि यह 4000 रुपये की हर्जाना राशि झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (Jharkhand State Legal Services Authority) में जमा की जाए।
इस मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी।
मधु कोड़ा की प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई
इस पूरे मामले में अभी तक झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। उनकी कानूनी टीम आगे क्या रुख अपनाएगी, यह देखना होगा।