रांची/सारंडा।

झारखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने राज्य के संवेदनशील और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण सारंडा क्षेत्र में सुरक्षा और विकास कार्यों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों का उद्देश्य क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करना, जनता और प्रशासन के बीच संवाद को मजबूत करना और विकास कार्यों को समयबद्ध ढंग से संपन्न कराना है।

बैठकों को बनाया जाएगा अधिक प्रभावी

DGP ने संबंधित प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सारंडा क्षेत्र में आयोजित बैठकों को औपचारिकता से बाहर निकालते हुए ज़मीनी हकीकत से जोड़ने की ज़रूरत है। इसके लिए बैठकें अब केवल कागज़ी कार्य नहीं बल्कि समस्या समाधान का सशक्त माध्यम होंगी।

स्थानीय समुदाय के साथ गहरा संवाद

DGP ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि वे स्थानीय ग्रामवासियों, जनप्रतिनिधियों और पंचायत सदस्यों के साथ सीधे संवाद करें। यह संवाद सिर्फ सुना-सुनाई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि स्थानीय समस्याओं का वास्तविक समाधान निकालने के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी

सुरक्षा बलों को सतर्क रहने के निर्देश

सारंडा, जो पहले नक्सल प्रभावित इलाकों में शामिल रहा है, वहां DGP ने सुरक्षा बलों को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी आपात स्थिति या सुरक्षा चुनौती से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को रणनीतिक रूप से सक्रिय और सुसज्जित रहना होगा

विकास परियोजनाओं पर रहेगी पैनी नजर

सारंडा क्षेत्र में कई विकास परियोजनाएं प्रगति पर हैं, जिनमें सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और पेयजल शामिल हैं। DGP ने स्पष्ट किया कि अब इन कार्यों की नियमित निगरानी की जाएगी ताकि ये योजनाएं समय पर और गुणवत्ता के साथ पूरी हो सकें

मुख्य बिंदु:

सारंडा में सुरक्षा और विकास के लिए नियमित और प्रभावी बैठकें होंगी।

स्थानीय समुदायों के साथ सहयोगात्मक और समाधानमुखी संवाद पर बल।

सुरक्षा बलों को सतर्क रहकर कार्य करने के निर्देश।

विकास कार्यों की नियमित निगरानी और समयबद्ध निष्पादन की योजना।

DGP की पहल के पीछे उद्देश्य

DGP द्वारा जारी यह दिशा-निर्देश झारखंड सरकार की “विकास और विश्वास” नीति को सारंडा जैसे संवेदनशील इलाकों में सशक्त रूप से लागू करने की कोशिश है। इसका मूल उद्देश्य है कि सारंडा केवल नक्सल क्षेत्र के रूप में नहीं, बल्कि शांति और समृद्धि के प्रतीक के रूप में उभरे

निष्कर्ष:

सारंडा क्षेत्र में यह पहल न केवल स्थानीय जनता की समस्याओं के समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है कि विकास और सुरक्षा साथ-साथ चल सकते हैं। अगर यह रणनीति सफल होती है, तो यह मॉडल अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है।

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