झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने आठवीं और नौवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया है। पहले ये परीक्षाएं क्रमशः 28 और 29-30 जनवरी को आयोजित होने वाली थीं। जैक सचिव जयंत कुमार मिश्र ने इस निर्णय की पुष्टि करते हुए कहा कि परीक्षाओं की नई तिथियां जल्द ही घोषित की जाएंगी।
परीक्षा सामग्री की सुरक्षा पर विशेष निर्देश
परीक्षाओं के स्थगन के बाद, जैक सचिव ने जिलों को निर्देश दिया है कि परीक्षा से संबंधित सभी सामग्रियों को सुरक्षित रखा जाए। इसमें प्रश्नपत्र, रोल शीट, ओएमआर शीट और उपस्थिति पत्रक शामिल हैं। इन्हें सुरक्षित रखने के लिए प्रखंड स्तर पर वज्रगृह बनाए जाएंगे, जिनकी निगरानी नामित नोडल अधिकारियों को सौंपी गई है। वज्रगृह पूरी तरह सील रहेगा, और स्कूलों को प्रश्नपत्र तब तक उपलब्ध नहीं कराए जाएंगे जब तक नई परीक्षा तिथियां घोषित नहीं हो जातीं।
अध्यक्ष की अनुपस्थिति बनी स्थगन की वजह
सूत्रों के अनुसार, जैक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद 18 जनवरी से खाली होने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। जैक अध्यक्ष को ही परीक्षाओं के संचालन और गोपनीय कार्यों का अधिकार प्राप्त होता है। उनकी अनुपस्थिति के कारण बोर्ड को यह निर्णय लेना पड़ा। यह पहली बार नहीं है जब अध्यक्ष पद की रिक्तता के कारण परीक्षा स्थगित हुई हो। 2021 में भी इसी वजह से मैट्रिक और इंटर की प्रथम टर्म परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ी थीं।
मैट्रिक और इंटर परीक्षाओं पर भी संशय
आठवीं और नौवीं की परीक्षाओं के स्थगन के बाद, अब जैक की मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षाओं पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ये परीक्षाएं 11 फरवरी से तीन मार्च तक प्रस्तावित हैं, लेकिन अगर फरवरी के पहले सप्ताह तक जैक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई, तो इनकी तिथियों को भी बदलना पड़ सकता है।
मैट्रिक परीक्षा के लिए 25 जनवरी से एडमिट कार्ड जारी होने थे, जो अब तक जारी नहीं किए जा सके हैं। इंटरमीडिएट के एडमिट कार्ड 28 जनवरी से मिलने थे, लेकिन इसके समय पर उपलब्ध होने की संभावना भी कम है।
क्या होगा आगे का रास्ता?
झारखंड में जैक परीक्षाओं का सुचारू संचालन छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए महत्वपूर्ण है। वर्तमान स्थिति में सरकार और जैक को जल्द ही नए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति करनी होगी, ताकि बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन को समय पर सुनिश्चित किया जा सके। स्थगन से न केवल छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि बोर्ड परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
अधिकारियों की नियुक्ति और परीक्षा तिथियों की नई घोषणा से ही स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। तब तक, छात्रों और अभिभावकों को इस अनिश्चितता का सामना करना पड़ेगा।