नई दिल्ली/रांची
देश की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की भारत विरोधी गतिविधियों का पर्दाफाश किया है। हाल ही में हुए पहलगाम हमले से पहले ही आईएसआई ने देश में एक और बड़ा आतंकी हमला कराने की योजना बनाई थी। इस साजिश में झारखंड की राजधानी रांची का रहने वाला एक व्यक्ति अखलाक आजम भी शामिल पाया गया है, जो आईएसआई नेटवर्क से जुड़ा हुआ था।
ऑपरेशन में खुलासा: अखलाक ने की थी मदद
जनवरी से मार्च 2025 के बीच केंद्रीय एजेंसियों द्वारा चलाए गए एक गुप्त ऑपरेशन में यह तथ्य सामने आया कि नेपाल मूल के एक एजेंट अंसारुल मियां अंसारी के जरिए भारत में जासूसी का नेटवर्क संचालित किया जा रहा था। अंसारुल को दिल्ली के एक होटल से गिरफ्तार किया गया था, जब वह फरार होने की कोशिश कर रहा था। उसके पास से सेना और सुरक्षा बलों से जुड़े संवेदनशील दस्तावेज, नक्शे और तस्वीरें बरामद हुई थीं।
पूछताछ में यह सामने आया कि अंसारुल को रांची के डोरंडा इलाके की रहमत कॉलोनी में रहने वाले अखलाक आजम ने नेटवर्क से जोड़ा था। अखलाक विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर युवाओं से संपर्क करता था और वहीं से देशविरोधी गतिविधियों से जुड़ा था।
जासूसी के आरोप में दो और गिरफ्तारियां
इस ऑपरेशन में दो और संदिग्धों — हारून और तुफैल — की गिरफ्तारी हुई है। हारून को दिल्ली से जबकि तुफैल को वाराणसी से पकड़ा गया। हारून स्क्रैप का व्यापार करता था और पाकिस्तान में उसके रिश्तेदार रहते हैं। बताया जा रहा है कि वह पाकिस्तानी उच्चायोग के एक कर्मचारी के संपर्क में था और वीजा दिलवाने के नाम पर लोगों से पैसे भी वसूलता था। इसके बदले में वह देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां साझा करता था।
तुफैल की गतिविधियां और भी खतरनाक पाई गईं। वह आतंकी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक से जुड़ा था और सोशल मीडिया के माध्यम से भड़काऊ वीडियो व संदेशों का प्रसार करता था। जांच में सामने आया कि वह पाकिस्तान की सेना के एक जवान की पत्नी के संपर्क में था और भारत के कई संवेदनशील ठिकानों की जानकारी साझा करता था। उसके फोन से 600 से अधिक पाकिस्तानी नंबरों से बातचीत के साक्ष्य मिले हैं।
देश के भीतर गहराई तक फैला नेटवर्क
इस पूरे खुलासे से यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी नेटवर्क भारत के विभिन्न राज्यों, खासकर झारखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में गहराई से जड़ें जमा चुका था। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों की सजगता से यह नेटवर्क समय रहते ध्वस्त कर दिया गया।
निष्कर्ष:
इस घटनाक्रम से यह साबित होता है कि देश की सुरक्षा को लेकर खतरे अभी भी खत्म नहीं हुए हैं। लगातार सजगता, खुफिया सूचनाओं पर त्वरित कार्रवाई और जनता की सतर्क भागीदारी से ही इस तरह की देशविरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाया जा सकता है।