झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक तनाव और बयानबाजी का दौर अपने चरम पर है। इस बार चर्चा का केंद्र बने हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मंत्री इरफान अंसारी और बीजेपी की प्रत्याशी सीता सोरेन। दिशोम गुरु शिबू सोरेन की बड़ी बहू और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी, सीता सोरेन, जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं। उनके सामने कांग्रेस के इरफान अंसारी हैं। हाल ही में इरफान अंसारी की टिप्पणी पर भावुक होते हुए सीता सोरेन ने अपना दुख प्रकट किया, और अंसारी ने अपनी बात रखते हुए उनसे माफी मांगी।
राजनीतिक बयानबाजी में आदिवासी सम्मान का मुद्दा
चुनाव की प्रक्रिया के बीच इरफान अंसारी द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर काफी विवाद खड़ा हो गया है। सीता सोरेन का कहना है कि जब से उनकी उम्मीदवारी की घोषणा हुई है, तभी से इरफान उन्हें निशाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी न केवल उन पर, बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय की महिलाओं पर हमला है। उन्होंने आगे कहा कि उनकी इस टिप्पणी को आदिवासी समुदाय कभी माफ नहीं करेगा। इस तरह के बयान ने राजनीतिक हलकों में आदिवासी सम्मान के मुद्दे को और भी संवेदनशील बना दिया है।
इरफान अंसारी का माफीनामा और महिला सम्मान पर जोर
दूसरी ओर, इरफान अंसारी ने अपनी टिप्पणी के संदर्भ में सफाई देते हुए कहा कि उनके मन में मां-बहनों के प्रति पूरा सम्मान है। उन्होंने झारखंड सरकार द्वारा महिलाओं को दी जाने वाली आर्थिक मदद का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने महिलाओं की सहायता के लिए 1000 रुपये की सहायता राशि दी थी, जिसे बाद में उनकी सिफारिश पर बढ़ाकर 2500 रुपये कर दिया गया। अंसारी ने कहा कि उनकी सरकार महिलाओं की भलाई के लिए काम करती रही है, और वह खुद महिलाओं के सम्मान के पक्षधर हैं। उन्होंने सीता सोरेन से माफी मांगते हुए यह भी कहा कि अगर उनकी बातों से उन्हें ठेस पहुंची हो, तो वह खेद व्यक्त करते हैं।
भावुक हुईं सीता सोरेन
रविवार को एक चर्चा के दौरान सीता सोरेन की आंखों में आंसू छलक आए। उन्होंने कहा कि इरफान अंसारी द्वारा की गई टिप्पणी से उन्हें गहरा दुख पहुंचा है। उनकी भावुकता ने यह साफ संकेत दिया कि इस बयान ने उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई है। सीता ने कहा कि उनकी ओर से यह मामला केवल एक व्यक्तिगत विवाद नहीं है, बल्कि यह पूरे आदिवासी समुदाय की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है।
राजनीतिक रणनीतियों में भावनात्मक पहलू
इस विवाद में जहां सीता सोरेन ने आदिवासी महिलाओं के सम्मान की बात को प्रमुख मुद्दा बनाया, वहीं इरफान अंसारी ने भी माफी मांगते हुए राजनीतिक माहौल को ठंडा करने की कोशिश की। चुनाव के दौरान इस प्रकार के भावुक बयानबाजी का उपयोग राजनीतिक रणनीतियों में किया जाता है। जहां सीता सोरेन ने इसे महिलाओं के सम्मान से जोड़कर आदिवासी समुदाय का समर्थन प्राप्त करने का प्रयास किया, वहीं इरफान अंसारी ने माफी मांगकर महिला सम्मान का दावा करते हुए जनसमर्थन बनाए रखने का प्रयास किया।
निष्कर्ष
झारखंड विधानसभा चुनाव में आदिवासी महिलाओं का सम्मान और उनका अधिकार एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। इरफान अंसारी की टिप्पणी ने इस विषय को और भी संवेदनशील बना दिया है, वहीं सीता सोरेन की भावुकता ने आदिवासी समाज के भीतर सहानुभूति का संचार किया है। चुनावी माहौल में ऐसे मुद्दों का उभार राजनीतिक दलों के लिए बड़ा मौका और चुनौती दोनों साबित हो सकता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस विवाद का झारखंड चुनावों में क्या असर पड़ता है और क्या इससे जनता की राय प्रभावित होती है।