झारखंड के बहुचर्चित कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार पूर्व उत्पाद सचिव और वरिष्ठ IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे को लेकर राज्य की राजनीति गरमा गई है। इस मामले में अब विपक्ष ने एसीबी की जांच पर भी सवाल खड़े किए हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने एसीबी की जांच की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए 8 तीखे सवालों की एक सूची जारी की है, जिनके जवाब मांगते हुए उन्होंने कहा है कि यदि सच्चाई सामने लानी है, तो ये सवाल IAS विनय चौबे से जरूर पूछे जाने चाहिए।

मरांडी के सवालों में क्या है खास?

बाबूलाल मरांडी ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजा था। उन्होंने पूछा कि क्या यह पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय को प्राप्त हुआ था? और यदि हां, तो उस पर क्या कार्रवाई की गई? साथ ही यह भी जानना चाहा कि क्या मुख्यमंत्री कार्यालय से इस पत्र को लेकर कोई निर्देश जारी हुआ था?

एक अन्य सवाल में उन्होंने रायपुर दौरे का ज़िक्र किया, जब झारखंड के विधायकों ने वहां भ्रमण किया था। मरांडी ने पूछा कि क्या उस दौरान होटल में शराब पहुँचाने के लिए विनय चौबे ने किसी आदेश पर व्यवस्था करवाई थी? इस आयोजन में शामिल लोगों से उनकी बातचीत के बारे में भी जानकारी मांगी गई है।

कंपनियों के चयन में सीएमओ की भूमिका पर भी सवाल

भाजपा नेता ने यह भी पूछा कि मार्शन सिक्योरिटीज और विजन हॉस्पिटैलिटी जैसी कंपनियों को चयनित करने में क्या मुख्यमंत्री कार्यालय की भूमिका थी? क्या इनका चयन बिना सीएमओ की सहमति के संभव था? इसके अलावा, उन्होंने छत्तीसगढ़ सिंडिकेट की हिस्सेदारी को लेकर भी सवाल उठाया—कौन इसमें कितना भागीदार था?

एसीबी की भूमिका पर गंभीर आरोप

मरांडी ने राज्य की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जो संस्था स्वतंत्र और निष्पक्ष होनी चाहिए थी, वही अब सत्ता पक्ष के लिए ‘ढाल’ बनती दिख रही है। उन्होंने कहा कि अगर एसीबी इन सवालों से कतराती है, तो देश की स्वतंत्र जांच एजेंसियां एक दिन जवाब निकालेंगी और फिर जनता भी इनसे सवाल करेगी, क्योंकि झारखंड की जनता को “सस्ती शराब” नहीं बल्कि “साफ शासन” चाहिए।

विनय चौबे की रिमांड पर टली पूछताछ

इस मामले में गुरुवार को एक अहम मोड़ तब आया जब विनय चौबे को ACB रिमांड पर लेने की कोशिश की गई, लेकिन जेल प्रशासन ने इसे अस्वीकार कर दिया। बताया गया कि चौबे फिलहाल रिम्स में इलाजरत हैं और जब तक उन्हें छुट्टी नहीं मिलती, तब तक उन्हें रिमांड पर नहीं भेजा जा सकता। कोर्ट ने इस पर जेलर और रिम्स से चौबे की स्वास्थ्य स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है। फिलहाल ACB ने सहायक उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह से पूछताछ शुरू कर दी है, जिन्हें कोर्ट ने दो दिनों की रिमांड पर भेजा है।

निष्कर्ष:

झारखंड में शराब घोटाले से जुड़े इस मामले ने न सिर्फ प्रशासनिक हलकों में हलचल मचाई है, बल्कि विपक्ष और सत्ता के बीच सियासी टकराव भी तेज कर दिया है। अब देखना होगा कि एसीबी इन सवालों का जवाब खोजती है या ये मामला आगे किसी स्वतंत्र एजेंसी के हवाले किया जाता है।

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