रांची
झारखंड: झारखंड इस समय भीषण गर्मी और संभावित सूखे के खतरे से जूझ रहा है। राज्य के कई इलाकों में पेयजल संकट गंभीर होता जा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को अलर्ट करते हुए भूजल स्तर की कड़ी निगरानी के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने झारखंड के मुख्य सचिव और जल संसाधन विभाग के सचिव को पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की मांग की है।
हैंडपंपों की बिगड़ती स्थिति ने बढ़ाई चिंता
राज्य में जल संकट की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि झारखंड में जियो टैग किए गए 2.21 लाख हैंडपंपों में से करीब 54 हजार हैंडपंप (24.36%) खराब पाए गए हैं। ये आंकड़े ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की निर्भरता वाले प्राथमिक जल स्रोतों की बिगड़ती दशा को दर्शाते हैं।
केंद्र ने दिए वैकल्पिक जल आपूर्ति के निर्देश
केंद्रीय पत्र में कहा गया है कि जिन क्षेत्रों में पाइपलाइन से जल आपूर्ति संभव नहीं है, वहां हैंडपंप, बोरवेल, कुएं, झरनों और अन्य स्थानीय स्रोतों के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जाए। साथ ही, मंत्रालय ने कहा है कि संवेदनशील क्षेत्रों में टैंकरों के जरिये पेयजल पहुंचाने की ठोस रणनीति और रूट मैप तैयार किया जाए।
ग्रामीण जल संकट की रोकथाम पर ज़ोर
मंत्रालय ने निर्देशित किया है कि ग्रामीण इलाकों में जल आपूर्ति को पूरी तरह से क्रियाशील बनाए रखने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। विशेषकर स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों और घरों तक सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना अनिवार्य है। इसके साथ ही गहरे ट्यूबवेल ड्रिलिंग की संभावनाओं का भी मूल्यांकन करने को कहा गया है।
विश्लेषण: समाधान की राह या महज़ औपचारिकता?
झारखंड जैसे राज्य में, जहां भूगर्भीय असमानता और संसाधनों की सीमाएं पहले से मौजूद हैं, ऐसे संकट में केंद्र व राज्य के तालमेल से ही समाधान निकल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय स्तर पर वर्षा जल संचयन, सामुदायिक जलस्रोतों की मरम्मत और जलप्रबंधन में पारदर्शिता से इस संकट को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।