नई दिल्ली/रांची
झारखंड की राजधानी रांची के बड़गाईं अंचल में करोड़ों रुपये की जमीन घोटाले से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से जुड़े नेता आनंद तिर्की उर्फ अंतु तिर्की समेत चार आरोपियों को जमानत दे दी है। इस मामले में इससे पहले झारखंड हाईकोर्ट से इन सभी की जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी थीं, जिसके बाद इन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला बड़गाईं अंचल की 8.46 एकड़ जमीन के फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिये खरीद-बिक्री से जुड़ा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में सामने आया कि वर्ष 1971 के एक पुराने सेल डीड को नकली तरीके से तैयार किया गया और उसमें नाम, खाता व रजिस्ट्रेशन डिटेल्स में हेरफेर की गई। जमीन का असली मालिक एक भोक्ता परिवार था, जिसकी संपत्ति को एक अन्य व्यक्ति के नाम पर दर्शाते हुए उसे ‘सामान्य प्रकृति की जमीन’ घोषित कर बेचने की योजना बनाई गई।
जमीन की कीमत में भारी अंतर
ED की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि जिस जमीन की वैध कीमत लगभग 22.61 करोड़ रुपये थी, उसे 100 करोड़ रुपये में बेचने की तैयारी की जा रही थी। इसमें कई स्तरों पर मिलीभगत सामने आई — राजस्व कर्मियों से लेकर दस्तावेज तैयार करने वाले दलालों तक।
ED की छापेमारी और आरोपपत्र
इस फर्जीवाड़े के मुख्य सूत्रधार के रूप में एक व्यक्ति मो. सद्दाम हुसैन की गिरफ्तारी हुई थी, जिसने पूछताछ में कई बड़े नामों का खुलासा किया। इसके बाद ईडी ने आनंद तिर्की, जमीन कारोबार से जुड़े इरशाद अख्तर, अफसर अली और मो. इरशाद सहित कुल 9 से अधिक लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की।
22 अप्रैल 2023 और 16 अप्रैल 2024 को शेखर कुशवाहा के ठिकानों पर भी ईडी की विशेष छापेमारी की गई थी। पूछताछ में असंतोषजनक जवाब मिलने पर उन्हें भी गिरफ्तार किया गया।
फर्जी दस्तावेजों का निर्माण कोलकाता में
इस जमीन घोटाले में एक चौंकाने वाला पहलू यह भी था कि जाली सेल डीड को कोलकाता के रजिस्ट्री कार्यालय में रखे मूल दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर तैयार किया गया था। दस्तावेज़ों की भाषा, रजिस्ट्रेशन नंबर और हस्ताक्षर तक को नकली तरीके से जोड़ा गया था, ताकि कागज़ात पूरी तरह वैध प्रतीत हों।
सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत
काफी जाँच-पड़ताल और हाईकोर्ट से जमानत याचिकाएं खारिज होने के बाद, अंततः सुप्रीम कोर्ट ने चार प्रमुख आरोपियों को सशर्त ज़मानत प्रदान की। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि आरोपी किसी भी गवाह या साक्ष्य से छेड़छाड़ नहीं करेंगे और जांच में सहयोग करेंगे।
निष्कर्ष
झारखंड में जमीन घोटालों की बढ़ती संख्या प्रशासन के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। बड़गाईं अंचल का यह मामला राज्य में राजनीतिक और राजस्व तंत्र की मिलीभगत को उजागर करता है। हालांकि फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत से चार आरोपियों को राहत मिली है, लेकिन ईडी की जांच अब भी जारी है और आने वाले समय में इस मामले में और भी खुलासे संभव हैं।