रांची/बोकारो:

झारखंड में सरकारी और वनभूमि के अवैध कब्जे को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। दस्तावेजों में हेरफेर कर वनभूमि को निजी संपत्ति में बदलने और उस पर निर्माण कार्य कराने के गंभीर आरोपों की जांच अब राज्य की आपराधिक अनुसंधान विभाग (CID) के हाथों में है। बोकारो जिले के पिंडराजोड़ा थाना क्षेत्र में दर्ज पुराने मामले को टेकओवर करते हुए CID ने नया केस दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी है।

कैसे हुआ घोटाला उजागर

जानकारी के अनुसार, बोकारो-रामगढ़ फोरलेन के पास खाता संख्या 317 और प्लॉट संख्या 3589 के तहत कुल 21 एकड़ भूमि दर्ज है। इसमें से 4.08 एकड़ क्षेत्रफल को ‘वनभूमि’ के रूप में चिह्नित किया गया था, जबकि शेष 16.92 एकड़ जमीन राज्य सरकार के स्वामित्व में थी। वर्ष 1956 में जमींदारी उन्मूलन अधिनियम लागू होने के बाद यह पूरी भूमि राज्य के अधिकार में चली गई थी।

हालांकि, वर्षों तक इस भूमि पर न तो किसी ने दावेदारी की और न ही कोई लगान जमा हुआ। इसके बावजूद 1983 में फर्जी कागजात तैयार कर जमीन की अवैध रजिस्ट्री कराई गई। इस प्रक्रिया में कथित तौर पर ललन पांडेय नामक व्यक्ति ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे न केवल रजिस्ट्री कराई, बल्कि बाद में पुरुलिया (पश्चिम बंगाल) से इस जमीन का पावर ऑफ अटॉर्नी भी तैयार करवा लिया।

सीआईडी की जांच और बड़ी कार्रवाई

पिंडराजोड़ा मामले की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि 2015-16 के बीच बिना सक्षम प्राधिकार के आदेश के वन भूमि का स्वामित्व अवैध तरीके से बदल दिया गया। इसी आधार पर बड़े स्तर पर रिसॉर्ट निर्माण का काम शुरू कर दिया गया था।

अब CID ने इस पूरे घोटाले को गंभीरता से लेते हुए नया मामला दर्ज किया है। इसमें उमेश जैन, ललन पांडेय, और राजस्व विभाग के कई कर्मियों को आरोपी बनाया गया है। जांच एजेंसी का फोकस यह पता लगाने पर है कि इस फर्जीवाड़े में कौन-कौन से सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों की भूमिका रही।

ED की भी हो चुकी है एंट्री

इससे पहले सेक्टर-12 थाना क्षेत्र के 103 एकड़ जमीन घोटाले में भी CID ने केस टेकओवर किया था, जिसके आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। ईडी ने झारखंड और बिहार के 16 ठिकानों पर छापेमारी करते हुए 1.30 करोड़ रुपये नकद, कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए थे।

जांच के मुख्य बिंदु

  • किस स्तर पर सरकारी रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर भूमि का स्वामित्व बदला गया?
  • फर्जी दस्तावेज किसने तैयार किए और इसकी मंजूरी किस स्तर पर दी गई?
  • वनभूमि पर व्यावसायिक निर्माण के पीछे किन रसूखदारों का हाथ है?

सरकार पर दबाव बढ़ा

वनभूमि घोटाले के बढ़ते खुलासे ने राज्य सरकार पर भी दबाव बढ़ा दिया है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि सरकारी मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर जमीन घोटाला संभव नहीं था। CID की जांच में अब यह भी सामने आ सकता है कि इस रैकेट का संचालन किन ऊंचे स्तरों से किया गया था।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version