रांची
झारखंड में पुलिस बल के शीर्ष पद को लेकर एक बार फिर असमंजस की स्थिति बन गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि वर्तमान डीजीपी अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल 2025 को सेवानिवृत्त किए जाएं। मंत्रालय के इस आदेश के बाद राज्य सरकार द्वारा तैयार नियमावली के आधार पर गुप्ता के कार्यकाल विस्तार पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
दरअसल, अनुराग गुप्ता की निर्धारित सेवानिवृत्ति तिथि 30 अप्रैल ही है। हालांकि, झारखंड सरकार ने “महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक (पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली-2025” के तहत उन्हें 2 फरवरी 2025 को नियमित डीजीपी नियुक्त किया था। इस नियमावली के अनुसार, नियुक्त डीजीपी का कार्यकाल दो वर्षों का होना तय है, भले ही उस अवधि में उनकी सेवानिवृत्ति तिथि बीच में क्यों न आ जाए।
लेकिन अब केंद्रीय गृह मंत्रालय के पत्र ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल के बाद पद पर बने रहने की अनुमति नहीं है। इससे राज्य सरकार की नीति और नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर नए सिरे से कानूनी व संवैधानिक बहस शुरू हो गई है।
नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन मामला
अनुराग गुप्ता की डीजीपी नियुक्ति पहले से ही कानूनी चुनौती का सामना कर रही है। अजय कुमार सिंह को डीजीपी पद से हटाए जाने के बाद राज्य सरकार ने अनुराग गुप्ता को कार्यवाहक डीजीपी बनाया था। बाद में नियमावली बनाकर उन्हें नियमित डीजीपी नियुक्त किया गया। इस नियुक्ति के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी समेत अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर रखी है, जिस पर सुनवाई अभी लंबित है।
राज्य सरकार देगी वस्तुस्थिति का जवाब
राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय के पत्र के जवाब में झारखंड सरकार केंद्र को पत्र लिखकर अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी। इसमें बताया जाएगा कि राज्य में अपनाई गई नई नियमावली के अनुसार ही अनुराग गुप्ता को नियमित डीजीपी नियुक्त किया गया है। राज्य सरकार यह भी तर्क दे सकती है कि चूंकि यह नियमावली राज्य के अधिकार क्षेत्र में आती है, इसलिए नियुक्ति और कार्यकाल का निर्धारण उसी के अनुरूप किया गया है।
ज्ञात हो कि अनुराग गुप्ता को पहली बार 26 जुलाई 2024 को प्रभारी डीजीपी नियुक्त किया गया था, लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव आयोग के निर्देश पर उन्हें पद से हटा दिया गया। इसके बाद 28 नवंबर 2024 को दोबारा उन्हें प्रभारी डीजीपी बनाया गया और फिर 2 फरवरी 2025 को नियमित डीजीपी के रूप में नियुक्ति दी गई थी।
आगे की राह कठिन
अब देखना होगा कि इस संवेदनशील मामले में राज्य सरकार और केंद्र के बीच सहमति बनती है या मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचता है। फिलहाल, डीजीपी अनुराग गुप्ता के भविष्य को लेकर स्थिति बेहद जटिल बनी हुई है और राज्य के प्रशासनिक हलकों में इसे लेकर व्यापक चर्चा हो रही है।
निष्कर्ष:
डीजीपी अनुराग गुप्ता के सेवानिवृत्ति को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। राज्य सरकार जहां अपनी नियुक्ति प्रक्रिया और नियमावली को सही ठहरा रही है, वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि निर्धारित सेवानिवृत्ति तिथि के बाद पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका और केंद्र-राज्य के बीच संवाद आने वाले दिनों में झारखंड पुलिस नेतृत्व के भविष्य को तय करेगा। प्रशासनिक स्थिरता और संवैधानिक प्रक्रिया दोनों के लिहाज से यह मामला बेहद महत्वपूर्ण बन गया है।