झारखंड के सिमडेगा जिले के टीनगिना गांव निवासी मांगनू, जो मजदूरी करने के लिए कर्नाटक गए हुए थे, का दुखद निधन हो गया है। उनकी मृत्यु के बाद, कर्नाटक के अजरगढ़ सरकारी अस्पताल में उनका शव पड़ा हुआ है, लेकिन उसे घर पहुंचाने के लिए 1.20 लाख रुपये की मांग की जा रही है। इस परिस्थिति ने उनके परिवार को गहरे संकट में डाल दिया है, क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं। मांगनू की पत्नी, जो 6 महीने की गर्भवती है, अपने पति के पार्थिव शरीर को घर लाने के लिए संघर्ष कर रही है। परिवार ने अब तक अपनी जमीन बेचकर मात्र 30 हजार रुपये जुटाए हैं, जो इस दुखद स्थिति में पूरी मदद के लिए अपर्याप्त हैं।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का सक्रिय कदम

इस घटना की जानकारी मिलते ही, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तुरंत सिमडेगा के जिला उपायुक्त (डीसी) को मामले की जांच करने और दिवंगत मांगनू के पार्थिव शरीर को उनके घर पहुंचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि परिवार को सभी जरूरी सरकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित किया जाए, ताकि इस मुश्किल घड़ी में उन्हें किसी प्रकार की आर्थिक तंगी का सामना न करना पड़े।

परिवार की स्थिति और मदद की आवश्यकता

मांगनू का परिवार इस समय न केवल आर्थिक संकट से जूझ रहा है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी गहरे सदमे में है। उनकी पत्नी, जो गर्भवती हैं, के ऊपर अब अपने पति की अंतिम यात्रा के साथ-साथ भविष्य की जिम्मेदारियां भी आ गई हैं। इस स्थिति में उन्हें सरकारी सहायता की अत्यधिक जरूरत है।

मांगनू का परिवार गरीब है और उनके पास इतनी बड़ी रकम जुटाने के साधन नहीं हैं। मांगनू के मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी को परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालने का भार भी उठाना होगा। ऐसे में हेमंत सोरेन द्वारा दिए गए निर्देश एक आशा की किरण के रूप में सामने आए हैं, क्योंकि सरकारी योजनाओं और सहायता से परिवार को आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिलेगी।

मजदूरों की स्थिति पर सवाल

मांगनू की दुखद मृत्यु और उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को घर लाने में हो रही कठिनाई ने एक बार फिर उस सच्चाई को उजागर किया है, जिसमें हमारे देश के गरीब मजदूर अपने राज्य से दूर रहकर जीवनयापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आर्थिक तंगी और सामाजिक सुरक्षा की कमी के कारण कई मजदूरों को अपने परिवार से दूर, दूसरे राज्यों में मजदूरी करनी पड़ती है। उनकी मेहनत का मोल और उनके अधिकारों की रक्षा करना, सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है।

सरकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने का निर्देश

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मांगनू के परिवार को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ दिलाने के लिए सिमडेगा के डीसी को निर्देशित किया है। इसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, झारखंड सरकार की बीमा योजनाएं, और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की योजनाओं का लाभ शामिल हो सकता है।

इस दिशा में यदि त्वरित कार्रवाई की जाती है, तो न केवल दिवंगत मजदूर के शव को घर लाने में मदद मिलेगी, बल्कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत किया जा सकेगा। साथ ही, गर्भवती पत्नी के स्वास्थ्य और भविष्य के बच्चे की परवरिश के लिए भी आवश्यक सहायता प्रदान की जा सकती है।

मजदूरों के लिए सुधारात्मक कदमों की आवश्यकता

यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि आखिर कब तक हमारे देश के मजदूर इस तरह की कठिन परिस्थितियों का सामना करेंगे? सरकार को चाहिए कि ऐसे मजदूरों के लिए विशेष योजना बनाए, जिसमें न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो, बल्कि मृत्यु की स्थिति में उनके परिवार को त्वरित सहायता भी उपलब्ध कराई जा सके।

सरकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर प्रभावी बनाने के लिए प्रशासन को अधिक सतर्क और संवेदनशील होने की जरूरत है। विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों के लिए, जिनकी मृत्यु अन्य राज्यों में होती है, सरकार को उनके शव को घर तक पहुंचाने के लिए एक स्थायी और सरल प्रक्रिया बनानी चाहिए।

समाज और सरकार की जिम्मेदारी

मांगनू की यह घटना केवल एक परिवार का मामला नहीं है, बल्कि यह समाज के हर व्यक्ति के लिए एक जागरूकता का संदेश है। हमें अपने समाज के सबसे कमजोर वर्गों की सुरक्षा और सहायता के लिए एकजुट होकर काम करना होगा। इसके लिए न केवल सरकारी प्रयासों की आवश्यकता है, बल्कि समाज को भी अपने स्तर पर मदद करनी होगी।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का त्वरित निर्देश और प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई यह दिखाती है कि सरकार इस गंभीर स्थिति को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में किस प्रकार से मांगनू के परिवार को राहत मिलती है और उनका पार्थिव शरीर उनके घर तक पहुंचाया जाता है।

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