रांची/बोकारो/धनबाद – प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ज़मीन हथियाने और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक बड़े घोटाले की जांच तेज करते हुए सोमवार सुबह झारखंड और बिहार में 16 से अधिक स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई बोकारो जिले में वन और राजस्व विभाग की लगभग 103 एकड़ सरकारी भूमि को फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए निजी स्वामित्व में स्थानांतरित करने के मामले से जुड़ी है।
ईडी की ताबड़तोड़ रेड, 6 बजे सुबह से एक्शन में एजेंसी
ईडी की यह छापेमारी सुबह 6 बजे शुरू हुई, जिसमें झारखंड के बोकारो, धनबाद और रांची सहित कई जिलों के साथ बिहार के कुछ स्थान भी शामिल थे। छापेमारी के दौरान भूमि से जुड़े दस्तावेज़, निवेश से संबंधित कागजात और कई महत्वपूर्ण फाइलें जब्त की गई हैं। जांच का फोकस उन व्यक्तियों और अधिकारियों पर है, जिन्होंने इस घोटाले में प्रत्यक्ष या परोक्ष भूमिका निभाई है।
क्या है मामला?
जांच में सामने आया है कि बोकारो जिले के तेतुलिया गांव की लगभग 103 एकड़ भूमि, जो 1962 में बोकारो स्टील लिमिटेड को हस्तांतरित की गई थी, उसे फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए निजी बिल्डर को बेच दिया गया। ये ज़मीन मूल रूप से वन भूमि के अंतर्गत आती है।
जमीन को इजहार अंसारी नामक व्यक्ति ने कथित तौर पर उमायुष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को मात्र 10.23 करोड़ रुपये में बेच दिया, जबकि उसका वास्तविक बाजार मूल्य 23 करोड़ से अधिक आंका गया था।
उमायुष कंस्ट्रक्शन की कंपनी प्रोफाइल भी जांच के घेरे में है, क्योंकि 2021 में बनी इस कंपनी की शुरुआत में शेयर पूंजी सिर्फ 1 लाख रुपये थी, लेकिन दो महीने में ही यह पूंजी 10.23 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
किस-किस पर गिरी गाज?
- इजहार अंसारी – वन भूमि का म्यूटेशन फर्जी दस्तावेज़ों से कराने का आरोप।
- दिवाकर द्विवेदी – धनबाद के पूर्व सर्किल अधिकारी, जिनके कार्यकाल में यह सौदा हुआ।
- रामेश्वर प्रसाद सिंह – चास और धनबाद के पूर्व अवर निबंधक, जिनके घर छापा पड़ा।
- किशोर किस्कू – उमायुष मल्टीकॉम प्रालि के प्रोजेक्ट हेड।
- अख्तर हुसैन और इजहार हुसैन – रैयत, जिनके पास से जमीन के संबंध में कागजात मिले।
- सुनील गुप्ता – चास अंचल के हल्का-7 के कर्मचारी, जिनसे पूछताछ जारी।
ईडी को शक: मनी लॉन्ड्रिंग की बड़ी साजिश
एजेंसी के अनुसार, यह मामला सिर्फ ज़मीन हड़पने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें काले धन के इस्तेमाल और मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका भी गहराई से जुड़ी है। एक लाख की पूंजी वाली कंपनी के पास अचानक 10.23 करोड़ रुपये कहां से आए? इसकी छानबीन तेज कर दी गई है।
इसके अलावा यह भी जांच की जा रही है कि सरकारी अफसरों और निजी बिल्डरों की मिलीभगत से यह घोटाला किस हद तक फैला है।
कौन कर रहा है जांच?
- प्रवर्तन निदेशालय (ED) – मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच।
- राज्य की सीआईडी – दस्तावेज़ों की वैधता और सरकारी भूमि की बिक्री की जांच।
- बोकारो वन प्रभाग – भूमि के अधिकार और एफआईआर की पुष्टि।
अदालती आदेश का गलत इस्तेमाल
जांच एजेंसियों को इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि उच्च न्यायालय के आदेश को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया और उसका लाभ उठाकर ज़मीन का फर्जीवाड़ा किया गया। जनता को भी गुमराह किया गया, जिससे यह मामला और गंभीर बन गया है।