प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहीं आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की किसी भी विभाग में तैनाती न करने की अपील के साथ पीएमएलए कोर्ट का रुख किया है। ईडी का कहना है कि यदि उन्हें किसी पद पर बहाल किया जाता है, तो यह न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। इस मामले में कोर्ट ने 14 फरवरी को सुनवाई तय की है।
ईडी का पक्ष: विभाग देने से जांच प्रभावित होगी
सोमवार को ईडी ने पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में आवेदन दाखिल कर कहा कि मनरेगा घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूजा सिंघल आरोपी हैं और उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चल रहा है। ऐसे में अगर उन्हें किसी पद पर बहाल किया जाता है, तो न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।
ईडी ने अपनी दलील में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया, जिनके तहत किसी भी सरकारी अधिकारी को सेवा में बहाल करने के दौरान लंबित आपराधिक मामलों को ध्यान में रखा जाना आवश्यक है।
बचाव पक्ष का जवाब और अदालत की प्रक्रिया
ईडी की इस अर्जी पर पूजा सिंघल के वकील ने भी अपना जवाब अदालत में दाखिल कर दिया है। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान पूजा सिंघल व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुईं। इस समय वह ईडी द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों का निरीक्षण कर रही हैं।
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तिथि तय की है, जिसमें इस मुद्दे पर विस्तार से बहस होगी।
पूजा सिंघल का निलंबन और बहाली
• पूजा सिंघल को 12 मई 2022 को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के एक दिन बाद निलंबित कर दिया गया था।
• मामला झारखंड में मनरेगा फंड से जुड़ी कथित अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है।
• 7 दिसंबर 2024 को, बीएनएसएस (BNS) के तहत पीएमएलए कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।
• 21 जनवरी 2025 को झारखंड सरकार ने उनका निलंबन समाप्त कर दिया और उन्होंने कार्मिक विभाग में योगदान कर लिया।
सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया
ईडी की इस कार्रवाई पर झारखंड सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, भाजपा समेत विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।
बीजेपी के नेताओं का कहना है कि एक भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी को दोबारा सेवा में लेना गलत है और ईडी की दलील उचित है। वहीं, झारखंड सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नियमों के अनुसार बहाली की गई है, लेकिन इस मामले में अदालत का फैसला महत्वपूर्ण होगा।
आगे की राह: क्या होगा 14 फरवरी को?
अब सवाल यह है कि क्या अदालत ईडी की मांग को स्वीकार करेगी और पूजा सिंघल को कोई विभाग देने से रोका जाएगा, या फिर सरकार के फैसले को बरकरार रखा जाएगा।
अगर अदालत ईडी के पक्ष में फैसला देती है, तो पूजा सिंघल के लिए प्रशासनिक वापसी मुश्किल हो सकती है। 14 फरवरी की सुनवाई इस मामले में अहम मोड़ साबित हो सकती है।