झारखंड के धनबाद में जीएसटी चोरी का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें 400 करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI) की टीम ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसमें 30 से अधिक फर्जी कंपनियों के जरिए कर चोरी की जा रही थी। इस मामले में मुख्य आरोपी सौरभ सिंघल और उनके सहयोगियों पर शिकंजा कसता जा रहा है।

कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?

DGGI जमशेदपुर की टीम ने शुक्रवार को धनबाद में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी शुरू की, जो शनिवार को भी जारी रही। शुरुआती जांच में 25 फर्जी कंपनियों के माध्यम से 150 करोड़ रुपये की कर चोरी का मामला सामने आया था, लेकिन जांच के दौरान यह घोटाला बढ़कर 400 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। जांच में कई नई फर्जी कंपनियों का भी पता चला है, जिससे घोटाले की राशि और बढ़ने की संभावना है।

कैसे की जा रही थी जीएसटी चोरी?

• आरोपियों ने फर्जी कंपनियां बनाकर कोयला खरीदने और इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत दावा करने की रणनीति अपनाई थी।

• बड़ी मात्रा में फर्जी इनवॉइस जारी कर टैक्स की देनदारी को समायोजित किया जाता था, जिससे सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ।

• फर्जी कंपनियों के जरिए कोयले की खरीदारी दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया जाता था, जबकि वास्तविक लेन-देन नहीं होता था।

• इन कंपनियों के नाम पर बनाए गए फर्जी दस्तावेजों और बैंक खातों के जरिए बड़े पैमाने पर वित्तीय लेन-देन किया गया।

कहां-कहां हुई छापेमारी?

DGGI की 25 अधिकारियों की टीम ने धनबाद के विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की, जिनमें शामिल हैं:

हवेली अपार्टमेंट (फ्लैट नंबर 303, 505 और 901) – यहां से सौरभ सिंघल और उनके सहयोगी शिवम सिंह के कई दस्तावेज मिले।

सरायढेला क्षेत्र – यहां स्थित भगवती इंटरप्राइजेज और भगवती माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड पर भी छापे मारे गए।

• अन्य संभावित ठिकानों की भी जांच जारी है, जहां और फर्जी कंपनियों के सबूत मिलने की संभावना है।

छापेमारी में क्या बरामद हुआ?

अब तक की जांच में अधिकारियों ने भारी मात्रा में डिजिटल और फिजिकल साक्ष्य जुटाए हैं, जिनमें शामिल हैं:

• नकदी (कैश)

• नोट गिनने की तीन मशीनें

• 6 लैपटॉप और 10 कंप्यूटर

• 8 से 10 मोबाइल फोन

• कई पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क

आगे क्या?

DGGI की टीम अभी भी मामले की जांच कर रही है और अन्य फर्जी कंपनियों की जानकारी जुटा रही है। यह संभावना जताई जा रही है कि जांच के दौरान और भी बड़े नाम इस घोटाले में सामने आ सकते हैं।

निष्कर्ष

धनबाद में सामने आया यह जीएसटी घोटाला झारखंड में कर चोरी से जुड़े सबसे बड़े मामलों में से एक बन सकता है। सरकार और जांच एजेंसियों की सख्ती के बावजूद इस तरह के फर्जीवाड़े हो रहे हैं, जो कर चोरी के नेटवर्क की जटिलता को दर्शाते हैं। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं, जिससे कर चोरी के इस गहरे रैकेट पर और रोशनी डाली जा सकेगी।

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