शहर की ट्रैफिक समस्या से जूझते लोग अब भी इंतजार में, पार्किंग और दुकान आवंटन अटका
धनबाद: राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में शामिल डीएमसी मॉल, जो कि शहर के मुख्य वाणिज्यिक केंद्र बैंक मोड़ क्षेत्र में स्थित है, उद्घाटन के सात महीने बाद भी पूरी तरह से बंद पड़ा है। करीब 25 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस मॉल का उद्घाटन अक्तूबर 2024 में मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था। बावजूद इसके, न तो मल्टीस्टोरी पार्किंग की शुरुआत हो पाई है और न ही दुकानों का आवंटन हो सका है।
मॉल का निर्माण, सुविधाएं और मौजूदा स्थिति
नगर निगम के पुराने कार्यालय को तोड़कर बनाए गए इस पांच मंजिला मॉल में आधुनिक शहरी सुविधाएं मौजूद हैं। खासकर बेसमेंट में दो फ्लोर पार्किंग की व्यवस्था की गई है, जहां लगभग 200 दोपहिया और 65–70 चारपहिया वाहन खड़े किए जा सकते हैं। मॉल के चालू हो जाने से बैंक मोड़ क्षेत्र में यातायात दबाव कम हो सकता था, लेकिन अब भी सड़क पर पार्किंग और ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई है।
यह मॉल सिर्फ पार्किंग ही नहीं, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र भी बन सकता था। इसमें 69 दुकानें बनाई गई हैं:
- ग्राउंड फ्लोर: 12 दुकानें
- फर्स्ट फ्लोर: 22 दुकानें
- सेकंड फ्लोर: 30 दुकानें
- थर्ड फ्लोर: 5 दुकानें
- टॉप फ्लोर: कॉरपोरेट सेक्टर के लिए आरक्षित
ऑनलाइन नीलामी का भी नहीं दिखा असर
फरवरी 2025 में नगर निगम ने दुकानों के ऑनलाइन ऑक्शन के लिए व्यापारियों को ट्रेनिंग भी दी थी। यह ट्रेनिंग इस उम्मीद में कराई गई थी कि जल्द ही दुकानें आवंटित होंगी और मॉल में व्यापारिक गतिविधियां शुरू हो सकेंगी। लेकिन तीन माह बीतने के बाद भी न किराया तय हुआ, न निविदा जारी हुई और न ही व्यापारियों को कोई सूचना दी गई है।
पार्किंग चालू न होने से दुकानदारों में नाराजगी
बैंक मोड़ क्षेत्र के दुकानदारों और स्थानीय व्यापार मंडलों में नाराजगी है। उनका कहना है कि निगम ने मॉल बनाकर दिखावा तो किया, लेकिन जनता को अब तक कोई फायदा नहीं पहुंचा। पार्किंग शुरू न होने से सड़क पर अवैध वाहन खड़े होते हैं, जिससे जाम की स्थिति आम हो गई है। व्यापारियों का मानना है कि यदि मॉल चालू होता, तो न सिर्फ ट्रैफिक में राहत मिलती, बल्कि व्यापार को भी गति मिलती।
निगम की कार्यशैली पर सवाल
नगर निगम की योजनाओं पर कई बार समय प्रबंधन की विफलता का आरोप लगता रहा है। डीएमसी मॉल इसका ताजा उदाहरण है। उद्घाटन के बाद भी सात महीने में न तो कोई दुकान खुली और न ही पार्किंग सुविधा शुरू हो सकी। स्थानीय लोगों का कहना है कि योजनाएं बनाने में निगम सक्रिय है, लेकिन कार्यान्वयन में सुस्ती साफ नजर आती है।
निष्कर्ष
बैंक मोड़ जैसे अति-व्यस्त क्षेत्र में यदि यह मॉल पूरी तरह से चालू हो जाए, तो शहर को न केवल एक व्यवस्थित पार्किंग स्पेस मिलेगा, बल्कि आर्थिक गतिविधियों में भी इजाफा होगा। लेकिन वर्तमान स्थिति बताती है कि राजनीतिक उद्घाटन और जमीनी हकीकत के बीच एक बड़ा अंतर है। अब निगाहें नगर निगम पर टिकी हैं कि वह कब तक इस परियोजना को पूरी तरह शुरू कर शहरवासियों को इसका लाभ दे पाएगा।