चाईबासा की अदालतों ने तीन अलग-अलग मामलों में फैसले सुनाए हैं, जिनमें अवैध हथियार रखने, नाबालिग से दुष्कर्म और आचार संहिता उल्लंघन के प्रकरण शामिल हैं।
अवैध हथियार रखने के मामले में जोहन बरजो को 8 साल की सजा
पुलिस ने 18 जून 2016 को गुप्त सूचना के आधार पर बंदगांव थाना क्षेत्र के पोडेनगेर जंगल में छापेमारी कर पीएलएफआई सदस्य जोहन बरजो उर्फ सलीम और उसके दो साथियों को पकड़ा था। तलाशी के दौरान पुलिस को जंगल में एक गड्ढे में छिपाए गए भारी मात्रा में प्रतिबंधित हथियार और विस्फोटक मिले थे, जिनमें 4 डीबीबीएल गन, 2 कार्बाइन, 8 वोटर एक्शन 315 राइफल मैगजीन, 4 कार्बाइन मैगजीन और 200 जिलेटिन की छड़ें शामिल थीं।
मामले की जांच के बाद चक्रधरपुर व्यवहार न्यायालय के प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने जोहन बरजो को दोषी करार देते हुए उसे 8 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई और 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। हालांकि, इस मामले में आरोपी बनाए गए उसके दो साथी थॉमस हेंब्रम और मार्शल गुड़िया को पर्याप्त साक्ष्य न मिलने के कारण बरी कर दिया गया।
नाबालिग से दुष्कर्म मामले में 4 साल की कैद
दूसरे मामले में, चाईबासा की द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने सोनुवा निवासी अरशद खान को नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का दोषी मानते हुए 4 साल के कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने उस पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह मामला 2021 में सोनुवा थाना में दर्ज किया गया था। न्यायालय ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर अरशद खान को दोषी ठहराया और उसे यह सजा दी।
आचार संहिता उल्लंघन मामले में मंत्री रामदास सोरेन व दिनेश कुमार बरी
एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दर्ज आचार संहिता उल्लंघन के एक मामले में झारखंड के शिक्षा मंत्री और पूर्व झामुमो जिलाध्यक्ष रामदास सोरेन एवं भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
यह मामला 2019 में सोनारी थाना में दर्ज हुआ था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि चुनाव प्रचार के दौरान सरकारी खंभों और भवनों पर पार्टी के झंडे व बैनर लगाए गए थे। विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत करने में असफल रहा, जिसके चलते अदालत ने दोनों को बरी कर दिया।
इन फैसलों के बाद क्षेत्र में कानून व्यवस्था को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं, वहीं प्रशासन की कार्रवाई को लेकर भी मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आ रही है।