रांची: झारखंड की राजनीति में इन दिनों राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और जमशेदपुर पश्चिम से विधायक सरयू राय के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर गरमाया हुआ है। शुक्रवार को सरयू राय ने एक बड़ा बयान जारी करते हुए स्वास्थ्य मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सरयू राय का दावा है कि राज्यकर्मियों के कैशलेस इलाज की फाइल पिछले दो महीनों से स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के पास लंबित पड़ी है, और मंत्री इस फाइल पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। सरयू राय ने यहां तक सवाल उठाया कि क्या मंत्री इस बीच बीमा कंपनी के साथ कोई ‘निगोसिएशन’ तो नहीं कर रहे?
कैशलेस इलाज पर मंत्री की चुप्पी
सरयू राय ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। निविदा समिति ने न्यूनतम प्रीमियम दर वाली बीमा कंपनी का चयन कर लिया है, और इस पर वित्त और विधि विभाग की सहमति भी मिल चुकी है। बावजूद इसके, बीमा कंपनी को कार्यादेश देने के बजाय यह फाइल पिछले दो महीने से स्वास्थ्य मंत्री के पास पड़ी है। सरयू राय ने सवाल उठाया कि निविदा समिति के फैसले के बाद फाइल मंत्री के पास क्यों भेजी गई और अब तक क्यों लंबित है? क्या स्वास्थ्य मंत्री ने खुद इस फाइल को मंगवाया है, और इसके पीछे क्या कारण हो सकता है?
पुरानी निविदा का मामला
यह पहली बार नहीं है जब कैशलेस इलाज की फाइल को लेकर देरी हो रही है। सरयू राय ने याद दिलाया कि 2023 में भी जब निविदा प्रक्रिया शुरू हुई थी, तीन सरकारी बीमा कंपनियों ने उसमें भाग लिया था। लेकिन, एक कंपनी तकनीकी अयोग्यता के कारण बाहर हो गई, और बाकी दो में से जिसने न्यूनतम प्रीमियम दर दी थी, उसे कार्यादेश देने के बजाय निविदा को रद्द कर दिया गया था। इस बार भी निविदा समिति, वित्त और विधि विभाग की मंजूरी मिलने के बावजूद फाइल स्वास्थ्य मंत्री के पास अटकी पड़ी है।
मंत्री का बचाव: तकनीकी अड़चनें या कुछ और?
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस मामले पर अपनी सफाई दी है और कहा है कि फाइल में कुछ “तकनीकी अड़चनें” हैं, जिन्हें दूर किया जा रहा है। हालांकि, सरयू राय का आरोप है कि यह देरी राज्यकर्मियों और राज्य के हित में नहीं है और इससे कर्मचारियों के कैशलेस इलाज की सुविधा में अनावश्यक विलंब हो रहा है।
एफआईआर और सरयू राय पर लगाए गए आरोप
इस विवाद के बीच, सरयू राय ने स्वास्थ्य मंत्री पर एक और गंभीर आरोप लगाया है। कुछ समय पहले एक अज्ञात व्यक्ति ने सरयू राय के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें सरयू राय पर आहार पत्रिका घोटाले में संलिप्त होने का आरोप लगाया गया था। सरयू राय का दावा है कि यह एफआईआर बन्ना गुप्ता के इशारे पर दर्ज कराई गई थी, और इसमें मंत्री का हाथ है। राय का यह भी कहना है कि बन्ना गुप्ता ने इस पूरे मामले में अज्ञात व्यक्ति को उकसाया और राजनीतिक षड्यंत्र रचा।
सरयू राय का जवाब और सीधा हमला
यह मामला तब और दिलचस्प हो गया, जब सरयू राय ने कई दिनों तक चुप्पी साधे रहने के बाद अचानक स्वास्थ्य मंत्री पर सीधे आरोप लगाए। पहले तो लोग यह सोच रहे थे कि सरयू राय इस एफआईआर के बाद शांत क्यों हैं, लेकिन अब उनके बयान से साफ हो गया है कि वे पलटवार करने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे थे।
सरयू राय का कहना है कि एफआईआर के जरिए उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इसके जवाब में उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को सीधे निशाने पर लिया और बीमा कंपनी के चयन में हो रही देरी को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि अगर सरकार राज्यकर्मियों के हितों की अनदेखी करती है, तो वे इस मामले को और आगे ले जाएंगे।
समाप्ति
झारखंड की राजनीति में इस विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। सरयू राय और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के बीच की इस तनातनी से राज्यकर्मियों के कैशलेस इलाज की सुविधा पर असर पड़ता नजर आ रहा है। राज्यकर्मियों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि सरकार जल्द से जल्द इस मामले को सुलझाए, ताकि वे बिना किसी बाधा के स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकें। अब देखना यह होगा कि इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच सरकार और स्वास्थ्य विभाग किस तरह से इस मुद्दे का समाधान निकालते हैं, और राज्यकर्मियों के कैशलेस इलाज की सुविधा कब तक लागू हो पाती है।