संयुक्त छापेमारी में दो गिरफ्तार, मुख्य सरगना फरार
झारखंड के बोकारो जिले में एक बड़े अवैध हथियार निर्माण रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। यह गन फैक्ट्री बेरमो अनुमंडल के जरीडीह बाजार स्थित एक मैरेज हॉल और गोदाम में चल रही थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यहां तैयार किए जा रहे हथियारों की आपूर्ति बिहार, बंगाल होते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमाओं तक—खासतौर पर बांग्लादेश—तक की जा रही थी। इस मामले में दो कारीगरों की गिरफ्तारी हुई है, जबकि इस अवैध नेटवर्क का संचालक अभी भी फरार है।
छापेमारी में भारी मात्रा में हथियार और शराब जब्त
पुलिस और खुफिया एजेंसियों की कार्रवाई में मौके से बड़ी संख्या में अर्धनिर्मित हथियार, पार्ट्स, लेथ मशीन, उपकरण और हथियार बनाने की सामग्री जब्त की गई। इसके अलावा लगभग 50 कार्टून शराब भी बरामद हुई है। ये सभी सामग्री एक कबाड़ के कारोबार की आड़ में गोदाम में छिपाकर रखी गई थी।
बिहार से थे हथियार बनाने वाले कारीगर
गिरफ्तार किए गए दोनों कारीगर बिहार के मुंगेर और खगड़िया जिलों के निवासी बताए जा रहे हैं। गौरतलब है कि मुंगेर लंबे समय से देशभर में अवैध हथियार निर्माण के लिए बदनाम रहा है, और यहां से प्रशिक्षित कारीगर अन्य राज्यों में ऐसे नेटवर्क संचालित करते पाए जाते हैं।
STF और ATS की संयुक्त कार्रवाई
इस पूरी कार्रवाई को पश्चिम बंगाल की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और झारखंड की एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया। इस छापेमारी में स्थानीय बेरमो और गांधीनगर थाना की पुलिस ने भी सहयोग किया। बताया जा रहा है कि हथियारों की बरामदगी की पिछली घटनाओं से जुड़े सुरागों के आधार पर एजेंसियां इस नेटवर्क की गहन जांच कर रही थीं।
धनबाद की बरामदगी से मिला सुराग
करीब 15 दिन पहले धनबाद के महुदा थाना क्षेत्र से भी भारी मात्रा में अवैध हथियार बरामद किए गए थे। उसी मामले से जुड़े तारों की कड़ियाँ जोड़ते हुए एजेंसियां जरीडीह तक पहुँचीं, जहाँ यह बड़ी फैक्ट्री सामने आई।
मुख्य सरगना अब भी फरार
गन फैक्ट्री से जुड़े मैरेज हॉल और गोदाम का संचालन करने वाला व्यक्ति, जिसकी पहचान सूरज साव के रूप में हुई है, फिलहाल फरार है। पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, उसका संबंध राज्य के अन्य कबाड़ और शराब माफिया नेटवर्क से भी हो सकता है।
हथियारों के अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय लिंक की जांच
पुलिस और खुफिया एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि इस गन फैक्ट्री में तैयार होने वाले हथियार किन रास्तों से बांग्लादेश तक पहुंचते थे। शुरुआती जांच में इसके पीछे एक सुनियोजित और संगठित अपराध तंत्र के मौजूद होने के संकेत मिले हैं, जो पूर्वी भारत के कई राज्यों में फैला हुआ है।
निष्कर्ष:
बोकारो में पकड़ी गई यह गन फैक्ट्री सिर्फ एक जिला स्तरीय अपराध का मामला नहीं, बल्कि इससे एक अंतरराज्यीय और संभावित अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्करी रैकेट की परतें खुल रही हैं। एजेंसियों की अगली चुनौती इस नेटवर्क की गहराई तक पहुंचना और इसके सभी सरगनाओं को गिरफ्तार करना है।