झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हजारीबाग दौरे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के लोगों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री मोदी झारखंड के हक को लौटाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे। लेकिन हमेशा की तरह, यह उम्मीद अधूरी रह गई। हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार और भाजपा पर झारखंड के हक को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा की चुप्पी इस दिशा में हक मारने की एक साजिश का हिस्सा है।

झारखंड के हक की मांग

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने साफ तौर पर कहा कि झारखंड कोई विशेष दर्जा या अतिरिक्त लाभ नहीं मांग रहा है। वह सिर्फ राज्य का अपना हक मांग रहा है। झारखंड, जो लंबे समय से देश की अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान कर रहा है, खासतौर पर कोयला उत्पादन के माध्यम से, अपने हिस्से का हक चाहता है। हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे पर भाजपा और केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया और कहा कि यह चुप्पी झारखंड के मूल निवासियों की चिंताओं को नज़रअंदाज़ करने का संकेत है।

बड़े कॉरपोरेट घरानों के हित

सोरेन ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार झारखंड के लोगों के हितों की बजाय बड़े कॉरपोरेट घरानों के हितों को प्राथमिकता दे रही है। झारखंड जैसे खनिज संपन्न राज्य में जहां प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है, वहाँ के निवासियों के अधिकारों को नज़रअंदाज़ करना राज्य के लिए एक बड़ा नुकसान है। उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के गठन का मूल उद्देश्य राज्य के निवासियों के जीवन को बेहतर बनाना था, लेकिन अब भाजपा सरकार अपने स्वार्थों के लिए काम कर रही है।

1.36 लाख करोड़ रुपये का बकाया

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोयला कंपनियों द्वारा झारखंड पर बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये की मांग की थी। उन्होंने इस राशि को राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया और कहा कि जब तक यह बकाया राशि चुकाई नहीं जाती, कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों से ब्याज के रूप में हर महीने 1100 करोड़ रुपये की राशि दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि अगर कंपनियाँ भुगतान नहीं करती हैं, तो आरबीआई से सीधे झारखंड सरकार के खाते में राशि डेबिट की जानी चाहिए, जैसा कि डीवीसी के बकाया मामले में हुआ था।

झारखंड के विकास में अड़चनें

हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे को राज्य के विकास में बड़ी अड़चन बताया। उन्होंने कहा कि झारखंड का हक मिलने से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, और राज्य के निवासियों का जीवन स्तर बेहतर होगा। लेकिन केंद्र सरकार और भाजपा की चुप्पी यह साबित करती है कि उन्हें झारखंड की जनता के हितों से ज्यादा कॉरपोरेट घरानों के फायदे की चिंता है।

राजनीतिक मुद्दे पर सीधा हमला

हेमंत सोरेन ने भाजपा और केंद्र सरकार पर सीधे हमला करते हुए कहा कि झारखंड राज्य के हितों को नज़रअंदाज़ करना किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं है। उन्होंने कहा कि यह चुप्पी झारखंड के हक की लड़ाई को कमजोर करने की साजिश है। सोरेन ने यह भी कहा कि झारखंड के लोगों को अब भाजपा की राजनीति की सच्चाई समझ आ रही है, और वे आने वाले चुनावों में इसका जवाब देंगे।

निष्कर्ष

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार और भाजपा पर झारखंड के हक को नज़रअंदाज़ करने का गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि झारखंड सिर्फ अपना हक मांग रहा है, लेकिन भाजपा की चुप्पी यह दर्शाती है कि वे झारखंड के निवासियों के हितों से ज्यादा कॉरपोरेट घरानों के हितों को महत्व दे रहे हैं। हेमंत सोरेन की इस तीखी प्रतिक्रिया से यह साफ हो गया है कि राज्य और केंद्र के बीच झारखंड के अधिकारों को लेकर खींचतान और बढ़ सकती है।

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