झारखंड में इन दिनों हेमंत सोरेन सरकार पर विपक्ष के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी के हमले तीव्र होते जा रहे हैं। हाल ही में मरांडी ने ट्विटर के माध्यम से राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार और युवा वर्ग के भविष्य को लेकर कड़ी आलोचना की है। उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि हेमंत सरकार में नौकरियों के नाम पर खुलेआम सीटें बेची जा रही हैं, विशेष रूप से झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की संयुक्त स्नातक स्तरीय (CGL) परीक्षाओं में।
भ्रष्टाचार और शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर आरोप
बाबूलाल मरांडी का दावा है कि JSSC में नौकरियों की सीटों के लिए मोटी रकम वसूली जा रही है, जिसमें प्रत्येक सीट के लिए 25 लाख रुपये तक की बोली लगाई जा रही है। उनका आरोप है कि इस भ्रष्टाचार के कारण ईमानदार और मेहनती छात्रों को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है और उनका भविष्य अंधकार में डाल दिया गया है। मरांडी ने हेमंत सरकार को इस संबंध में जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था और परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता की भारी कमी है।
झारखंड में युवाओं की समस्याएं
मरांडी ने अपने ट्वीट में युवाओं की समस्याओं पर भी ध्यान केंद्रित किया। उनके अनुसार, राज्य में पढ़ाई करने वाले छात्रों को उचित अवसर नहीं मिल रहे हैं। जो छात्र मेहनत और लगन से तैयारी कर रहे हैं, वे पीछे रह जाते हैं, जबकि पैसे वाले लोगों को बिना मेहनत के नौकरियां मिल जाती हैं। उनका आरोप है कि हेमंत सरकार ने यह प्रवृत्ति स्थापित कर दी है कि पढ़ाई करने वाले छात्र पढ़ते रहें, जबकि पैसे वाले लोग बिना योग्यता के आगे बढ़ते रहें।
राजनीतिक दृष्टिकोण और आगामी चुनाव
बाबूलाल मरांडी के इस बयान का झारखंड की राजनीति पर गहरा असर हो सकता है, विशेष रूप से आगामी चुनावों के संदर्भ में। उनकी यह रणनीति है कि भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी के मुद्दों को जनता के सामने उठाकर हेमंत सरकार की छवि को धूमिल किया जाए। मरांडी ने यह भी संकेत दिया है कि यदि वर्तमान सरकार को बदलने का मौका मिला, तो उनकी पार्टी इन समस्याओं को प्राथमिकता से हल करेगी और पारदर्शी परीक्षा प्रक्रिया लागू करेगी।
निष्कर्ष
झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप गंभीर हैं और ये राज्य की युवाओं के भविष्य पर सीधा प्रभाव डालते हैं। बाबूलाल मरांडी का दावा है कि सरकार की यह नीति युवाओं के सपनों और उनके भविष्य को अंधकार में धकेल रही है। ऐसे में जनता के सामने यह सवाल है कि क्या इन मुद्दों पर सरकार ध्यान देगी या नहीं।
आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मुद्दे पर सरकार का क्या रुख रहेगा और बाबूलाल मरांडी जैसे विपक्षी नेताओं के आरोपों का सरकार किस प्रकार से उत्तर देती है।