हजारीबाग
झारखंड के हजारीबाग जिले में गरीब और जरूरतमंद मरीजों के लिए बड़ी चिंता की खबर सामने आई है। जिले के 20 से अधिक प्राइवेट अस्पतालों ने 5 मई 2025 से आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज देना बंद कर दिया है। इसका सीधा असर उन मरीजों पर पड़ा है, जो लंबे समय से इस योजना के तहत मुफ्त इलाज का लाभ ले रहे थे।
डायलिसिस मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित
शहर के एक प्रमुख निजी अस्पताल में डायलिसिस सेवा जारी थी, जहां 71 से अधिक किडनी मरीज रजिस्टर्ड हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस कराना पड़ता है। एक डायलिसिस की कीमत 1200 से 2400 रुपये तक होती है, जो गरीब परिवारों के लिए बड़ा आर्थिक बोझ बन सकता है।
टाटीझरिया के रहने वाले गोविंद रजक बताते हैं, “बीमारी की वजह से काम-काज बंद है। आयुष्मान कार्ड से हमें राहत मिल रही थी, अब अचानक इलाज रुक गया। समझ में नहीं आ रहा कि अब क्या करें।” यही हाल चतरा, विष्णुगढ़, बड़कागांव और अन्य ग्रामीण इलाकों से आए मरीजों और उनके परिवार वालों का भी है।
10 महीने से नहीं हुआ भुगतान
प्राइवेट अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जुलाई 2024 से अब तक यानी लगभग 10 महीने से आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज की राशि का भुगतान नहीं किया गया है। अस्पतालों ने कई बार इस मुद्दे को जिला और राज्य स्तर पर उठाया, लेकिन जब कोई ठोस समाधान नहीं मिला, तो मजबूरन सेवाएं बंद करनी पड़ीं।
क्या बोले मरीज और अटेंडेंट?
बड़कागांव से आए सरोज मिश्रा ने बताया, “हर हफ्ते दो बार डायलिसिस कराना जरूरी है। आयुष्मान योजना के बिना अब यह संभव नहीं है। निजी खर्च पर इलाज कराना बहुत मुश्किल है।” वहीं चतरा के आनंद कुमार ने कहा कि आयुष्मान कार्ड गरीबों के लिए वरदान था, लेकिन अब स्थिति निराशाजनक हो गई है।
सरकारी अस्पतालों पर बढ़ेगा दबाव
अभी तक हजारीबाग के कई निजी अस्पतालों में बड़ी संख्या में गंभीर बीमारियों का इलाज आयुष्मान योजना के तहत हो रहा था। लेकिन इन सेवाओं के बंद होने से अब सरकारी अस्पतालों पर दबाव बढ़ने की आशंका है। संसाधनों की पहले ही कमी झेल रहे सरकारी अस्पतालों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
निष्कर्ष:
आयुष्मान भारत योजना का उद्देश्य देश के कमजोर तबके को स्वास्थ्य सुरक्षा देना है, लेकिन अगर भुगतान की अनियमितता के कारण निजी अस्पताल इसमें भागीदारी बंद करते हैं, तो योजना का लक्ष्य ही अधूरा रह जाएगा। सरकार को तत्काल भुगतान प्रक्रिया में सुधार कर अस्पतालों को योजना से जोड़े रखने के प्रयास करने होंगे।