रांची: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज पार्टी बैठक में चौंकाने वाला ऐलान करते हुए अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने कहा कि दो दिन बाद वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे और दिल्ली की जनता के फैसले का इंतजार करेंगे।
केजरीवाल ने कहा, “मैं उस कुर्सी पर तब तक नहीं बैठूंगा, जब तक जनता अपना फैसला नहीं देती। चुनाव अभी कुछ महीने दूर हैं। मुझे कानूनी अदालत से न्याय मिला है, अब मैं जनता की अदालत से न्याय लूंगा। अगर मैंने काम किया है, तो मेरे लिए वोट करें।”
जल्द चुनाव की मांग
केजरीवाल ने इस दौरान दिल्ली में निर्धारित चुनावों को फरवरी के बजाय नवंबर में ही कराने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में होने वाले चुनावों के साथ दिल्ली में भी चुनाव कराए जाएं। उनका मानना है कि जनता के बीच जाकर उनका समर्थन मांगना ही सही रास्ता होगा।
नई सरकार के गठन पर चर्चा
इस्तीफे के बाद दिल्ली के नए मुख्यमंत्री को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनके इस्तीफे के बाद आम आदमी पार्टी का कोई अन्य सदस्य मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दो दिनों में पार्टी के विधायक मिलकर नए मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे।
नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला
केजरीवाल ने अपने भाषण में केंद्र सरकार और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कड़ा हमला किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ब्रिटिश शासन से भी अधिक तानाशाही कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र रचकर उन्हें जेल भेजा गया था, लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ा क्योंकि वह लोकतंत्र की रक्षा करना चाहते थे।
उन्होंने कहा, “कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी आरोप लगाए गए हैं। यह बीजेपी का नया खेल है। मैं सभी गैर-बीजेपी नेताओं से अपील करता हूं कि अगर आप पर केस दर्ज किए जाते हैं, तो इस्तीफा न दें।”
मनोज सिसोदिया से बातचीत
केजरीवाल ने बताया कि उन्होंने अपने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से भी इस मामले पर चर्चा की थी। सिसोदिया को हाल ही में दिल्ली की शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों में जमानत मिली थी। केजरीवाल ने कहा कि सिसोदिया भी मुख्यमंत्री पद को तभी संभालेंगे जब जनता कहेगी कि वे ईमानदार हैं।
लोकतंत्र और जनता पर भरोसा
अरविंद केजरीवाल का यह इस्तीफा जनता और लोकतंत्र पर उनके गहरे भरोसे को दर्शाता है। उनका मानना है कि जनता ही उनके कार्यों की सच्ची जज है और वे केवल तब ही मुख्यमंत्री पद पर वापस लौटेंगे जब जनता उन्हें दोबारा समर्थन देगी। अब देखना यह होगा कि दिल्ली की जनता आने वाले चुनावों में क्या फैसला लेती है और केजरीवाल की यह रणनीति किस दिशा में जाती है।
इस अप्रत्याशित कदम से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है और सभी की नजरें अब आने वाले चुनावों पर हैं, जहां यह तय होगा कि अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी को जनता से कितना समर्थन मिलता है।