झारखंड की राजनीति में 21 अक्टूबर 2024 को एक बड़ा मोड़ तब आया जब ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) पार्टी के केंद्रीय महासचिव तरुण गुप्ता ने एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) से बगावत करते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की। इस फैसले से राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है, क्योंकि तरुण गुप्ता एक प्रमुख नेता के रूप में जाने जाते हैं और उनके इस कदम से एनडीए के समीकरणों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

बगावत की घोषणा और चुनाव लड़ने का निर्णय

तरुण गुप्ता ने यह घोषणा अपने आवासीय कार्यालय, सर्खेलडीह में आयोजित एक बैठक के दौरान की, जहां उन्होंने अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं से चर्चा की। इस बैठक में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे 28 अक्टूबर को जामताड़ा विधानसभा सीट से नामांकन दाखिल करेंगे। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वे किस राजनीतिक दल से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस बारे में घोषणा की जाएगी।

तरुण गुप्ता ने कहा कि जामताड़ा में एक बार फिर से बदलाव लाने की जरूरत है और वे इसके लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में वे क्षेत्र के लोगों के सुख-दुख में हमेशा साथ रहे हैं और उनकी समस्याओं को समझते हैं। गुप्ता का कहना है कि क्षेत्र के लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता है, जिसे वे प्रदान कर सकते हैं।

एनडीए पर निशाना और भाजपा की नाकामी

तरुण गुप्ता ने एनडीए, खासकर भाजपा पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि भाजपा एक राष्ट्रीय पार्टी होते हुए भी जामताड़ा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र के लिए एक योग्य उम्मीदवार नहीं बना सकी। गुप्ता ने कहा कि पिछले पांच सालों में भाजपा ने बूथ कमेटी और पन्ना प्रमुख जैसे संगठनात्मक ढांचे खड़े किए, लेकिन एक ऐसा व्यक्ति तैयार नहीं कर पाई जो जामताड़ा से चुनाव लड़ सके और यहां की समस्याओं का समाधान कर सके।

उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी ने जमीनी स्तर पर काम करने की बजाए हेलीकॉप्टर राजनीति को बढ़ावा दिया। गुप्ता का इशारा सीता सोरेन की ओर था, जिन्हें भाजपा ने पिछले चुनावों में मैदान में उतारा था। उन्होंने कहा कि हेलीकॉप्टर से उम्मीदवारों को उतारने से जनता के मुद्दे हल नहीं होते और न ही जनता को सही प्रतिनिधित्व मिल पाता है।

जामताड़ा के लोगों के लिए प्रतिबद्धता

तरुण गुप्ता ने कहा कि वे जामताड़ा के लोगों के साथ हर मुश्किल समय में खड़े रहे हैं और आगे भी रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी लड़ाई सिर्फ चुनाव जीतने की नहीं, बल्कि क्षेत्र के विकास और यहां के लोगों की समस्याओं को हल करने की है। गुप्ता का मानना है कि जामताड़ा में विकास के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए गए हैं और भाजपा के नेतृत्व में यहां की जनता की उपेक्षा की गई है।

गुप्ता ने अपने समर्थकों को आश्वस्त किया कि वे चुनाव लड़ेंगे और क्षेत्र में एक नया बदलाव लाने की कोशिश करेंगे। उनका यह फैसला एनडीए से अलग होने और जामताड़ा से चुनाव लड़ने का इरादा जाहिर करता है, जो राजनीतिक दृष्टिकोण से एक बड़ा कदम है।

आने वाले चुनावों पर असर

तरुण गुप्ता की इस बगावत से झारखंड की राजनीति में एक नया मोड़ आया है। एनडीए को अब जामताड़ा में एक बड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है। गुप्ता के समर्थकों की संख्या काफी बड़ी है, और उनकी जमीनी पकड़ को देखते हुए एनडीए के लिए यह चुनाव मुश्किल साबित हो सकता है।

इसके अलावा, गुप्ता का यह निर्णय झारखंड की क्षेत्रीय राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि जामताड़ा एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है। इस सीट पर जो भी नेता जनता की समस्याओं को हल करने का भरोसा दे सकेगा, वही चुनाव में जीत हासिल कर सकता है।

निष्कर्ष

तरुण गुप्ता की एनडीए से बगावत और जामताड़ा से चुनाव लड़ने की घोषणा ने झारखंड की राजनीतिक स्थितियों को और जटिल बना दिया है। उनकी आलोचनाएं और भाजपा पर किए गए तीखे हमले इस बात का संकेत हैं कि आने वाले दिनों में राजनीति में और भी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। गुप्ता का यह निर्णय न केवल एनडीए के लिए एक चुनौती है, बल्कि झारखंड की राजनीति में एक नए समीकरण को जन्म देने वाला है। अब देखना होगा कि वे किस राजनीतिक दल से चुनाव लड़ते हैं और जनता किस तरह उनके इस फैसले पर प्रतिक्रिया देती है।

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