झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं। इस बीच, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में टिकट बंटवारे को लेकर अंदरूनी खींचातानी शुरू हो गई है। लिट्टीपाड़ा सीट से झामुमो विधायक दिनेश विलियम मरांडी ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्हें इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया, जिसके चलते उन्होंने बगावत करते हुए खुद चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
दिनेश मरांडी का विरोध: टिकट न मिलने पर नाराजगी
दिनेश विलियम मरांडी ने बुधवार को स्पष्ट कर दिया कि वह लिट्टीपाड़ा से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, चाहे उन्हें झामुमो का टिकट मिले या नहीं। मरांडी ने कहा कि उनके पिता साइमन मरांडी झामुमो के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और उन्होंने पार्टी को मजबूत करने के लिए कई वर्षों तक मेहनत की। इसके बावजूद, उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया गया, जो उनके परिवार के प्रति अन्याय है।
“सोरेन परिवार को 3 टिकट, हमारे परिवार को कोई नहीं”
दिनेश मरांडी ने झामुमो के शीर्ष नेतृत्व, विशेष रूप से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा, “सोरेन परिवार को तीन टिकट दिए गए हैं, जबकि मेरे पिता साइमन मरांडी ने पार्टी को बनाने और उसे मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, फिर भी हमारे परिवार को एक भी टिकट नहीं मिला।” उन्होंने सीधा सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर क्यों उन्हें इस बार टिकट से वंचित किया गया।
लिट्टीपाड़ा सीट पर बाहरी उम्मीदवार को नकारा
झामुमो ने लिट्टीपाड़ा सीट से हेमलाल मुर्मू को उम्मीदवार घोषित किया है। इस पर दिनेश मरांडी ने कहा कि लिट्टीपाड़ा के लोग “बाहरी उम्मीदवार” को स्वीकार नहीं करेंगे। उनके मुताबिक, इस सीट पर केवल स्थानीय नेता ही जनता का समर्थन पा सकते हैं। उनका मानना है कि पार्टी का यह फैसला गलत है और इसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
चुनावी मैदान में उतरने की चुनौती
दिनेश मरांडी ने खुलेआम ऐलान कर दिया कि वह किसी भी हालत में लिट्टीपाड़ा से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे या किसी अन्य पार्टी से। लेकिन उनका यह कदम झामुमो के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, खासकर तब जब पार्टी पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर विरोध का सामना कर रही है।
झामुमो में बढ़ती आंतरिक खींचतान
झामुमो ने अब तक 41 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बरहेट सीट से, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय सीट से, और उनके भाई बसंत सोरेन दुमका सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। सोरेन परिवार के तीन सदस्यों को टिकट मिलने से पार्टी के अंदर अन्य नेताओं में असंतोष बढ़ रहा है।
निष्कर्ष
झामुमो के लिए यह बगावत चुनावी माहौल में पार्टी की एकता को कमजोर कर सकती है। लिट्टीपाड़ा सीट पर दिनेश मरांडी की बगावत और उनकी चुनौती पार्टी के लिए चिंता का विषय है। यह देखना दिलचस्प होगा कि झामुमो इस आंतरिक संकट से कैसे निपटता है और क्या दिनेश मरांडी अपने वादे के अनुसार लिट्टीपाड़ा सीट से चुनावी मैदान में उतरते हैं या नहीं।