झारखंड में अपराध और राजनीति के संबंध को लेकर चर्चा में आए गैंगस्टर अमन साहू के चुनाव लड़ने के अरमानों पर गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट ने पूर्ण विराम लगा दिया। हाईकोर्ट ने अमन साहू की सजा पर रोक लगाने और चुनाव लड़ने की अनुमति देने की हस्तक्षेप याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही अब वह आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव में बड़कागांव विधानसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ पाएगा।
100 से अधिक मामलों में आरोपी
गैंगस्टर अमन साहू के खिलाफ 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से कई गंभीर मामले हत्या, अपहरण, और अवैध वसूली से जुड़े हैं। अमन साहू झारखंड में अपराध की दुनिया का एक बड़ा नाम माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में उसने अपने अपराध साम्राज्य को विस्तार दिया है, और विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहा है। इस बीच, उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने भी जोर पकड़ा, और वह बड़कागांव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था।
हाई कोर्ट का फैसला
अमन साहू की ओर से अदालत में सजा पर रोक लगाने की याचिका दायर की गई थी ताकि वह विधानसभा चुनाव में भाग ले सके। अमन के वकील हेमंत कुमार शिकरवार ने अदालत से अपील की थी कि चुनाव के मद्देनजर उसकी सजा को स्थगित किया जाए ताकि उसे नामांकन भरने की अनुमति मिल सके। हालांकि, झारखंड हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट करते हुए कि अमन के खिलाफ 100 से अधिक गंभीर आपराधिक मामले हैं, उसकी याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि अपराधियों के चुनाव लड़ने को लेकर सख्त नियम लागू किए गए हैं और यह मामला उन नियमों के खिलाफ है।
2018 में मिली थी सजा
अमन साहू को वर्ष 2018 में आर्म्स एक्ट के तहत रामगढ़ की एक निचली अदालत ने छह साल की सजा सुनाई थी। अमन के खिलाफ कई अन्य गंभीर आपराधिक मामलों के साथ-साथ इस सजा को लेकर भी वह कानूनी लड़ाई लड़ रहा था। उसने इस सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील भी दायर की थी, लेकिन अब तक उसे कोई राहत नहीं मिल पाई है।
राजनीतिक आकांक्षाओं पर लगा ग्रहण
इस फैसले के बाद अमन साहू की राजनीतिक आकांक्षाओं को बड़ा झटका लगा है। उसकी योजना थी कि वह बड़कागांव विधानसभा सीट से बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे और राजनीति में अपनी जगह बनाए। इसके लिए उसकी मां किरण देवी ने पहले ही चुनाव के नामांकन प्रपत्र खरीद लिए थे और बेटे के समर्थन में नामांकन की तैयारी कर रही थीं। लेकिन हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद अब अमन साहू का चुनाव लड़ने का सपना अधूरा रह गया है।
अपराध और राजनीति का गठजोड़
झारखंड में अमन साहू के मामले ने एक बार फिर अपराध और राजनीति के गठजोड़ को लेकर सवाल खड़े किए हैं। अमन साहू जैसे अपराधी, जिनके खिलाफ इतने गंभीर मामले दर्ज हैं, का चुनाव में उतरने की कोशिश यह दर्शाती है कि किस तरह अपराधी तत्व राजनीति में अपनी पैठ जमाने की कोशिश करते हैं। हालांकि अदालत ने समय पर हस्तक्षेप करते हुए इस पर रोक लगा दी, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि ऐसे मामलों को राजनीति से कैसे दूर रखा जाए।
क्या चुनाव हारने का डर है?
अमन साहू के चुनाव लड़ने की कोशिशों को लेकर यह सवाल उठता है कि क्या उसे चुनाव हारने का डर सता रहा था, या फिर वह राजनीति में अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहा था? कोर्ट के फैसले के बाद अब उसकी राजनीतिक योजनाओं पर विराम लग गया है, लेकिन यह मामला झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में चर्चा का विषय बना रहेगा।
निष्कर्ष
गैंगस्टर अमन साहू की चुनावी राजनीति में प्रवेश की कोशिशों पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अमन साहू के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं, और ऐसे मामलों में चुनाव लड़ने की अनुमति देना कानून के खिलाफ होगा। यह फैसला झारखंड में अपराध और राजनीति के बीच के नाजुक संतुलन को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। अब देखना होगा कि इस मामले के बाद झारखंड की राजनीतिक पार्टियां और समाज अपराधियों के राजनीति में प्रवेश को लेकर क्या कदम उठाते हैं।