रांची: कांटाटोली फ्लाईओवर पर हुई हालिया दुर्घटना ने राज्य में विकास परियोजनाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोमवार रात हुई इस भीषण टक्कर में दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, और इस हादसे के बाद फ्लाईओवर के अधूरे निर्माण और सरकारी नीतियों पर गंभीर बहस छिड़ गई है। फ्लाईओवर का निर्माण कार्य अभी भी अधूरा है, लेकिन इसे जल्दबाजी में जनता के लिए खोल दिया गया था।
अधूरे निर्माण कार्य और चुनावी दबाव का प्रभाव
फ्लाईओवर के निर्माण में देरी और चुनावी दबाव के चलते इसे अधूरे ही जनता के लिए खोल दिया गया था। राज्य सरकार ने चुनावी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए इसे बिना सुरक्षा प्रोटोकॉल पूरे किए चालू कर दिया, जिससे वाहनों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई।
सुरक्षा उपायों की कमी: हादसे का मुख्य कारण?
कांटाटोली फ्लाईओवर पर सुरक्षा के मानकों की अनदेखी साफ दिखती है। फ्लाईओवर के एक मार्ग पर काम चालू होने के बावजूद गाड़ियों का आवागमन दोनों दिशाओं से एक ही मार्ग पर किया जा रहा है। तेज गति से चलने वाले वाहनों के लिए न तो कोई सख्त नियम लागू किए गए, और न ही किसी प्रकार की चेतावनी के संकेतक लगाए गए हैं।
सरकार की भूमिका पर सवाल
इस दुर्घटना के बाद सरकारी नीतियों और फ्लाईओवर के निर्माण को लेकर उठे सवालों के जवाब तलाशने की जरूरत है। क्या जल्दबाजी में फ्लाईओवर खोलने का निर्णय एक प्रशासनिक विफलता है? निर्माण कार्य अभी भी अधूरा है, और सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखे बिना इसे जनता के लिए खोल देना एक बड़ी भूल साबित हो सकता है।
लाभ के लिए परियोजनाओं में जल्दबाजी
झारखंड की चुनावी राजनीति में अक्सर देखा गया है कि विकास परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने की कोशिश की जाती है, भले ही वे अधूरी हों। कांटाटोली फ्लाईओवर इसका ताजा उदाहरण है, जहां सुरक्षा और गुणवत्ता के मानकों को नज़रअंदाज़ किया गया।
क्या वोट लेने के कारण अधूरा ओवरब्रिज जनता को सौंपा गया?
यह सवाल अब जनता के बीच गहराई से उठ रहा है कि क्या चुनावी लाभ पाने के लिए अधूरे ओवरब्रिज को जनता को सौंप दिया गया? कांटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ था, फिर भी चुनावी समीकरण साधने के लिए इसे जल्दबाजी में जनता के लिए खोल दिया गया। अधूरे निर्माण, सुरक्षा मानकों की अनदेखी और फ्लाईओवर पर गाड़ियों का दोनों दिशाओं में आवागमन, यह सब इस बात का इशारा करता है कि कहीं न कहीं सरकार ने वोट बटोरने के लिए जनता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया है। चुनावी दबाव में विकास परियोजनाओं को अधूरा छोड़कर उद्घाटन करना आम बात हो गई है, जिससे ऐसी दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
आगे के कदम और सुधार की जरूरत
सरकार को इस दुर्घटना से सबक लेते हुए अधूरे निर्माण कार्यों को जल्दबाजी में पूरा करने की बजाय सुरक्षा के मानकों पर ध्यान देना चाहिए। ट्रैफिक पुलिस को गति सीमा का पालन कराना चाहिए और उचित सुरक्षा उपाय लागू किए जाने चाहिए।