झारखंड राज्य के युवा और सरकारी नौकरी के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए आयोजित होने वाली JSSC-CGL (झारखंड कर्मचारी चयन आयोग) परीक्षा एक बार फिर विवादों में घिर गई है। इस बार धांधली के आरोपों को लेकर एक अभ्यर्थी प्रकाश कुमार ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने जनहित याचिका (PIL) दायर कर परीक्षा को रद्द करने की मांग की है, साथ ही या तो सीबीआई जांच या फिर हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों की कमेटी से इसकी गहन जांच कराने की अपील की है।
परीक्षा में धांधली के आरोप:
प्रकाश कुमार की याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि 21 और 22 सितंबर 2024 को आयोजित JSSC-CGL परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली की गई है। याचिकाकर्ता ने अपने दावों को पुख्ता सबूतों के साथ प्रस्तुत किया है। यह परीक्षा राज्य के कुल 823 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गई थी, जिसमें झारखंड समेत अन्य राज्यों के करीब 3 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था।
सरकार द्वारा परीक्षा को निष्पक्ष, कदाचार मुक्त और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के उद्देश्य से दो दिनों तक राज्य में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई थी। इसके बावजूद परीक्षा में गड़बड़ियों के आरोपों ने छात्रों और अभ्यर्थियों को हिला दिया है।
छात्रों का विरोध प्रदर्शन और FIR:
परीक्षा में धांधली के आरोप लगाते हुए कुछ छात्रों ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) के कार्यालय का घेराव भी किया था। इस विरोध प्रदर्शन के बाद कई छात्रों के खिलाफ नामकुम थाना में FIR भी दर्ज करवाई गई थी। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनुचित साधनों का उपयोग किया गया और कुछ विशेष उम्मीदवारों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
छात्रों ने JSSC के खिलाफ यह कहते हुए विरोध किया कि इस तरह की गड़बड़ियों से मेरिट पर आधारित चयन प्रक्रिया बाधित हो रही है और योग्य उम्मीदवारों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है।
परीक्षा रद्द करने की मांग:
प्रकाश कुमार की याचिका में न केवल परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई है, बल्कि उन्होंने यह भी कहा है कि परीक्षा में हुए धांधली की सीबीआई या हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों की निगरानी में जांच की जाए। उनका कहना है कि अगर इस परीक्षा को रद्द नहीं किया गया और निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो इसका सीधा असर हजारों योग्य अभ्यर्थियों के करियर पर पड़ेगा।
याचिका की सुनवाई और संभावनाएं:
अब यह मामला झारखंड हाई कोर्ट पहुंच चुका है, जहां जल्द ही सुनवाई होने की उम्मीद है। अगर कोर्ट प्रकाश कुमार के दावों को सही पाता है और उनकी याचिका स्वीकार करता है, तो संभव है कि परीक्षा को रद्द किया जा सकता है या फिर एक उच्चस्तरीय जांच समिति बनाई जा सकती है।
सरकार और JSSC की तरफ से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि परीक्षा के दौरान धांधली के आरोपों ने राज्य के शिक्षा और रोजगार व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
निष्पक्षता और पारदर्शिता की मांग:
झारखंड के युवाओं के लिए JSSC-CGL जैसी परीक्षाएं सरकारी नौकरी पाने का महत्वपूर्ण अवसर हैं। लेकिन जब इन परीक्षाओं में गड़बड़ियों के आरोप लगते हैं, तो इससे न केवल छात्रों का मनोबल टूटता है, बल्कि परीक्षा प्रणाली पर भी सवाल उठते हैं।
अब झारखंड हाई कोर्ट के फैसले से ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि परीक्षा में कितनी धांधली हुई और इसे सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे। लेकिन इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के बिना किसी भी परीक्षा का महत्व नहीं हो सकता।
निष्कर्ष:
JSSC-CGL परीक्षा से जुड़ी यह घटना झारखंड के शिक्षा तंत्र और प्रशासनिक ढांचे पर गहरे सवाल खड़े करती है। अभ्यर्थियों और छात्रों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए यह जरूरी है कि सरकार और संबंधित विभाग इन मामलों को गंभीरता से लें और निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई करें। जनता और छात्रों की अपेक्षा है कि न्यायालय और प्रशासनिक अधिकारी इस मामले में उचित और त्वरित कार्रवाई करेंगे, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।