इजराइल और ईरान के बीच का तनाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में यह विवाद खुलकर युद्ध के कगार पर पहुँचता दिख रहा है। इजराइल द्वारा लगातार ईरान पर किए जा रहे हमलों के बाद, ईरान भी पलटवार की तैयारी कर रहा है। इस बढ़ते संघर्ष का सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस युद्ध से आखिर किसे फायदा हो रहा है और क्यों निर्दोष लोग इसकी भेंट चढ़ रहे हैं?
इजराइल और ईरान के बीच विवाद के कारण
इजराइल और ईरान के बीच का विवाद मुख्य रूप से धार्मिक, राजनीतिक और भू-राजनीतिक कारणों पर आधारित है। इजराइल पश्चिम एशिया में एक यहूदी राष्ट्र के रूप में स्थापित है, जबकि ईरान एक इस्लामी गणराज्य है। दोनों देशों के बीच विचारधारात्मक टकराव वर्षों से चला आ रहा है।
ईरान की ओर से, इजराइल को एक अवैध राष्ट्र माना जाता है और उसका विरोध किया जाता है। वहीं इजराइल के लिए ईरान उसकी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है, खासकर ईरान के परमाणु कार्यक्रमों के चलते। इजराइल का मानना है कि यदि ईरान परमाणु हथियार विकसित करता है, तो यह उसकी सुरक्षा के लिए अत्यधिक खतरनाक हो सकता है। इसीलिए इजराइल लगातार ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले करता रहा है।
युद्ध से किसे लाभ?
युद्ध से सीधे तौर पर दोनों देशों की जनता को कोई लाभ नहीं है, बल्कि नुकसान ही है। यह संघर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई शक्तियों के लिए अवसर प्रदान करता है।
- अंतरराष्ट्रीय हथियार उद्योग: युद्ध से सबसे ज्यादा फायदा हथियार बनाने वाली कंपनियों और देशों को होता है। युद्ध की स्थिति में हथियारों की मांग बढ़ती है और इससे इन कंपनियों का मुनाफा भी। अमेरिका, रूस, और चीन जैसे बड़े देशों की कंपनियां इस युद्ध से आर्थिक लाभ उठा सकती हैं, क्योंकि वे दोनों पक्षों को हथियार बेचने में सक्षम हैं।
- भू-राजनीतिक प्रभाव: पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और उसके सहयोगी, इस संघर्ष का इस्तेमाल मध्य पूर्व में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए कर सकते हैं। अमेरिका इजराइल का पुराना सहयोगी है और वह इस युद्ध का फायदा उठाकर ईरान को और कमजोर करने की कोशिश कर सकता है, ताकि उसकी सत्ता पर पकड़ ढीली हो और वह परमाणु कार्यक्रम से पीछे हटे।
- ऊर्जा उद्योग: मध्य पूर्व क्षेत्र तेल और गैस का प्रमुख उत्पादक है, और इस प्रकार के संघर्षों से ऊर्जा की कीमतें बढ़ जाती हैं। इससे उन देशों को आर्थिक लाभ होता है जो तेल और गैस का निर्यात करते हैं। इस तनाव के कारण वैश्विक तेल की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे कीमतें बढ़ेंगी और ऊर्जा उत्पादक देश इससे लाभान्वित होंगे।
मासूमों की बलि: एक मानवता की त्रासदी
हर युद्ध में सबसे बड़ी त्रासदी यह होती है कि निर्दोष लोग उसकी चपेट में आते हैं। इजराइल और ईरान के बीच हो रहे इस संघर्ष का सबसे ज्यादा असर आम जनता पर पड़ता है। बमबारी और हमलों के कारण निर्दोष नागरिक मारे जा रहे हैं, उनके घर तबाह हो रहे हैं, और वे अपने जीवन की सुरक्षा खो रहे हैं।
इस प्रकार के युद्धों में आम लोग हमेशा पिसते हैं। चाहे वह बच्चे हों, महिलाएं हों, या बुजुर्ग; युद्ध की आग में उनकी जिंदगी नष्ट हो जाती है। शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि होती है, और मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है। युद्ध न केवल शारीरिक विनाश लाता है, बल्कि मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक घाव भी छोड़ता है जो पीढ़ियों तक भर नहीं पाते।
निष्कर्ष
इजराइल और ईरान के बीच का यह युद्ध न केवल इन दोनों देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। इस संघर्ष का फायदा उन ताकतों को हो रहा है जो हथियारों, तेल और भू-राजनीतिक लाभ के पीछे हैं। लेकिन इस संघर्ष का सबसे बड़ा नुकसान उन निर्दोष नागरिकों को हो रहा है जो केवल शांति और सुरक्षा चाहते हैं।
यह समय है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति को गंभीरता से ले और इन दोनों देशों के बीच शांति वार्ता का प्रयास करे। युद्ध से कभी भी स्थायी समाधान नहीं निकलता; यह केवल विनाश और पीड़ा लाता है।