रांची। पत्रकारिता जगत के एक चमकते सितारे और बेबाक कलम के योद्धा, रवि प्रकाश ने आखिरकार जिंदगी की जंग हार दी। फेफड़ों के कैंसर के चौथे चरण और ब्रेन मेट्स से जूझते हुए उन्होंने अंतिम सांस ली। पत्रकार रवि प्रकाश की असामयिक मृत्यु ने पूरे पत्रकारिता जगत और उनके चाहने वालों को गहरे सदमे में डाल दिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, “आखिरी जोहार जिंदगी और कलम के योद्धा…”
कठिन राह, कष्टप्रद रातें और क्रूर सुबहें
रवि प्रकाश का कैंसर से संघर्ष आसान नहीं था। कैंसर के चौथे चरण तक पहुंचते-पहुंचते बीमारी ने उनके शरीर को कमजोर कर दिया था। रातें कष्टप्रद होती जा रही थीं और सुबहें क्रूर। डॉक्टर्स उनकी स्थिति को संभालने की पूरी कोशिश कर रहे थे, लेकिन हर दिन एक नई चुनौती लेकर आता था। ऑक्सीजन सपोर्ट ने उन्हें थोड़ी राहत जरूर दी, पर कैंसर की जटिलताएं बढ़ती जा रही थीं।
कलम के योद्धा की अदम्य जिजीविषा
रवि प्रकाश केवल एक पत्रकार नहीं थे; वे एक जुझारू व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपने लेखन से हमेशा सच को सामने लाने की कोशिश की। वे अपनी लेखनी के जरिए समाज के मुद्दों को उठाते रहे और अपने तीखे सवालों से सत्ता के गलियारों में हलचल मचाते रहे। उनकी लेखनी में जो दमखम था, वही उनकी असल पहचान थी। कैंसर से जूझते हुए भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आखिरी वक्त तक अपने संघर्ष को जारी रखा।
सीएम हेमंत सोरेन ने दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पत्रकार रवि प्रकाश के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “जिंदगी और कलम के योद्धा को आखिरी जोहार।” मुख्यमंत्री ने उनके संघर्ष और साहस की सराहना की और कहा कि रवि प्रकाश जैसे पत्रकार समाज के लिए प्रेरणा हैं, जिन्होंने हर परिस्थिति में सच के साथ खड़े रहकर पत्रकारिता की गरिमा को बनाए रखा।
कैंसर से लड़ाई का संघर्ष
रवि प्रकाश की कैंसर से लड़ाई आसान नहीं थी। कैंसर का चौथा चरण और ब्रेन मेट्स जैसी गंभीर स्थिति ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर कर दिया था। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बीमारी से जूझते रहे। डॉक्टर्स ने उन्हें बचाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन बीमारी की गंभीरता के आगे सब बेबस हो गए। ऑक्सीजन सपोर्ट से थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन यह राहत भी अस्थायी ही साबित हुई।
पत्रकारिता की एक अपूरणीय क्षति
रवि प्रकाश के निधन से पत्रकारिता जगत को एक बड़ी क्षति हुई है। वे अपने समय के उन चुनिंदा पत्रकारों में से थे, जिन्होंने अपने कलम के जरिए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की। उनकी लेखनी में सामाजिक सरोकार की गहराई और सत्ता से सवाल पूछने का साहस था। उनकी बेबाकी और सच को सामने लाने का जुनून उन्हें दूसरों से अलग बनाता था। उनके निधन से पत्रकारिता जगत ने एक ऐसा योद्धा खो दिया है, जिसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती।
निष्कर्ष
रवि प्रकाश का जीवन संघर्ष, हिम्मत और साहस की एक अद्भुत कहानी है। उन्होंने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ते हुए भी कभी हिम्मत नहीं हारी और अपनी आखिरी सांस तक कलम के जरिए समाज को आईना दिखाने का काम किया। उनका संघर्ष उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। रवि प्रकाश की लेखनी और उनका जुझारू स्वभाव हमेशा पत्रकारिता जगत को प्रेरित करता रहेगा। कलम के इस योद्धा को आखिरी सलाम।