रांची: झारखंड में JSSC (Jharkhand Staff Selection Commission) की परीक्षा के दौरान 21 और 22 सितंबर को सुबह 8 बजे से लेकर 1:30 बजे तक पूरे राज्य में इंटरनेट सेवाओं को बंद रखने का फैसला किया गया है। गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है, जिसके तहत परीक्षा के दौरान इंटरनेट सेवाओं को निलंबित किया जाएगा। सरकार के इस कदम का उद्देश्य परीक्षा के दौरान नकल और अनुचित गतिविधियों को रोकना है, लेकिन इस फैसले ने आम जनता के बीच सवाल खड़े कर दिए हैं। इसे कई लोग सरकार की नाकामी मानते हैं, तो कई इसे सुरक्षा का जरूरी कदम बताते हैं।
सरकार की नाकामी के तर्क
- आधुनिक तकनीक का अभाव: परीक्षा में नकल रोकने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद करने का निर्णय यह दर्शाता है कि झारखंड सरकार आधुनिक तकनीकों का सही उपयोग नहीं कर पा रही है। जहां अन्य राज्यों में जैमर, सीसीटीवी, और बायोमेट्रिक निगरानी जैसी तकनीकों का उपयोग कर नकल को रोका जाता है, वहीं झारखंड में इंटरनेट बंद करने को प्राथमिकता दी जा रही है। यह तरीका एक अस्थायी समाधान है और सरकार की तैयारी में कमी को उजागर करता है।
- आम जनता को होने वाली समस्याएं: इंटरनेट बंद होने का सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। डिजिटल इंडिया के युग में जब सभी सेवाएं, लेन-देन, शिक्षा, और रोजगार इंटरनेट पर निर्भर हैं, तब इंटरनेट बंद करना आम लोगों की दैनिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न करता है। छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई, कर्मचारियों का वर्क फ्रॉम होम, व्यापारियों के ऑनलाइन लेन-देन, और यहां तक कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- व्यवसाय और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: इंटरनेट बंद होने से छोटे और बड़े व्यापारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। ऑनलाइन मार्केटप्लेस, डिजिटल पेमेंट, और बैंकिंग सेवाओं में व्यवधान उत्पन्न होता है, जो अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डालता है। इससे न सिर्फ स्थानीय बल्कि राज्य की पूरी आर्थिक व्यवस्था प्रभावित होती है।
- अभिव्यक्ति की आजादी का हनन: इंटरनेट सेवाएं बंद करना मौलिक अधिकारों का हनन माना जा सकता है। लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी, सूचना प्राप्त करने का अधिकार, और सूचनाओं का आदान-प्रदान बाधित होता है। यह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन भी है।
- परीक्षा प्रबंधन की खामियां: सरकार का यह कदम यह भी दर्शाता है कि परीक्षा के आयोजन में खामियां हैं। अगर परीक्षा केंद्रों पर पर्याप्त सुरक्षा और निगरानी की व्यवस्था होती तो इस तरह के कठोर फैसले की जरूरत नहीं पड़ती। इस तरह के उपाय परीक्षा संचालन की क्षमता पर सवाल खड़े करते हैं।
जरूरत या मजबूरी?
सरकार के इस फैसले का बचाव करने वालों का तर्क है कि यह कदम परीक्षा की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। कई बार नकल माफिया और साइबर क्राइम के माध्यम से परीक्षा में हेराफेरी की घटनाएं सामने आती हैं, जिससे लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ जाता है।
बचाव पक्ष के तर्क:
- परीक्षा की निष्पक्षता सुनिश्चित करना: परीक्षा के दौरान इंटरनेट बंद करने से नकल करने और प्रश्नपत्र लीक होने जैसी घटनाओं पर रोक लगती है। इससे परीक्षा की निष्पक्षता बनी रहती है और योग्य उम्मीदवारों को मौका मिलता है।
- सुरक्षा की दृष्टि से: इंटरनेट बंद करने से साइबर अपराधों और फर्जीवाड़े पर नियंत्रण पाया जा सकता है। परीक्षा के दौरान सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर फैलाई जाने वाली अफवाहों को भी रोका जा सकता है।
समाधान और सुझाव
- सख्त निगरानी और सुरक्षा उपाय: सरकार को परीक्षा केंद्रों पर जैमर, सीसीटीवी कैमरे, और बायोमेट्रिक सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। इससे नकल पर रोक लगाई जा सकती है और इंटरनेट बंद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- परीक्षा प्रणाली में सुधार: प्रश्नपत्र लीक जैसी घटनाओं को रोकने के लिए परीक्षा की पूरी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाना चाहिए। प्रश्नपत्रों को डिजिटल रूप से एनक्रिप्टेड फॉर्म में भेजा जा सकता है, जिससे उनके लीक होने की संभावना कम होगी।
- साइबर सुरक्षा उपाय: साइबर क्राइम को रोकने के लिए विशेष टीमें बनाई जा सकती हैं जो परीक्षा के दौरान ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रख सकें। इस तरह के उपाय नकल माफिया पर नकेल कस सकते हैं।
निष्कर्ष
इंटरनेट बंद करना एक अस्थायी और अल्पकालिक समाधान है जो कि झारखंड सरकार की परीक्षा आयोजन क्षमता पर सवाल खड़े करता है। सरकार को आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर परीक्षा में पारदर्शिता और सुरक्षा को बढ़ाना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के कठोर कदम उठाने की आवश्यकता न पड़े। जनता को बिना वजह की असुविधा से बचाना और उनकी अधिकारों की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है, जो इस प्रकार के फैसलों से प्रभावित हो रही है।
इसलिए, इंटरनेट बंद करने की आवश्यकता पर पुनर्विचार कर, दीर्घकालिक और तकनीकी समाधानों को अपनाना आवश्यक है ताकि न सिर्फ परीक्षा की निष्पक्षता सुनिश्चित हो, बल्कि जनता को भी इस प्रकार की असुविधा से बचाया जा सके।