झारखंड राज्य में महिलाओं और बच्चों के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न के मामलों ने एक गंभीर मोड़ लिया है, जिससे राज्य में बढ़ते अपराधों पर कड़ा ध्यान देने की आवश्यकता उत्पन्न हुई है। इसी कड़ी में झारखंड हाई कोर्ट ने इस मामले में बुधवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने रांची के डीसी, झारखंड के डीजीपी और नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को 18 सितंबर 2024 को अदालत में सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
यह आदेश राज्य में महिलाओं और बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न की घटनाओं में हो रही बढ़ोतरी को लेकर आया है। हाई कोर्ट ने नगर निगम और नगर विकास विभाग को भी इस मामले में प्रतिवादी बनाया है और कड़ी चेतावनी दी है कि यदि इस विषय पर ठोस कदम नहीं उठाए गए तो राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठेंगे।
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर कोर्ट की गहरी चिंता
झारखंड हाई कोर्ट ने मौखिक रूप से इस बात को स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार के कई प्रयासों के बावजूद, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की घटनाएं क्यों नहीं रुक रही हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि महिलाएं और बच्चे सुरक्षित नहीं हैं, तो समाज का आधार कमजोर हो जाता है। खासतौर पर स्कूल जाने वाले बच्चों को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने कहा कि स्कूल प्रबंधन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा के लिए एक या दो स्कूल स्टाफ सदस्य मौजूद रहें ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
स्कूल बसों और स्कूल वैन में सुरक्षा की कमी
कोर्ट ने जमशेदपुर में एक 3.5 साल की बच्ची के साथ हुई यौन उत्पीड़न की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह घटना न केवल शर्मनाक है, बल्कि राज्य की सुरक्षा प्रणाली पर सवाल भी खड़े करती है। स्कूल बसों और वैन में बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन पर है, और कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता बताई है कि बसों और वैन में स्टाफ की उपस्थिति अनिवार्य हो।
रांची नगर निगम और पुलिस की जिम्मेदारियां
रांची नगर निगम को कोर्ट ने कहा कि पूरे शहर में स्ट्रीट लाइट्स और सीसीटीवी कैमरों की स्थिति को सुधारना आवश्यक है। यह महत्वपूर्ण है कि शहर के सभी स्थानों पर पर्याप्त प्रकाश और निगरानी उपकरण मौजूद हों ताकि अपराधियों को रोका जा सके और अपराधों की जांच के लिए ठोस सबूत मिल सके।
इसके अलावा, पुलिस की PCR वैन की लगातार मॉनिटरिंग और सड़कों पर उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए भी कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि यह सिर्फ रांची की ही समस्या नहीं है, बल्कि पूरे झारखंड में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन को और अधिक सक्रिय और सतर्क रहना होगा।
जून 2024 तक के आंकड़ों ने किया चिंताजनक खुलासा
इस संबंध में याचिकाकर्ता भारती कौशल ने कोर्ट को इस वर्ष जनवरी से जून 2024 तक के आंकड़े पेश किए, जिसमें यह बताया गया कि महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। यह खुलासा अदालत के लिए और भी अधिक चिंताजनक साबित हुआ, क्योंकि यह दिखाता है कि राज्य में अपराधों को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास नाकाफी हैं।
आगे की सुनवाई और संभावित फैसले
कोर्ट ने 18 सितंबर 2024 को मामले की अगली सुनवाई निर्धारित की है, जिसमें डीजीपी, डीसी और नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य प्रशासन और नगर निगम को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा, अन्यथा स्थिति और बिगड़ सकती है।
हाई कोर्ट के इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि राज्य की न्यायपालिका महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर सख्त रुख अपनाने के लिए तैयार है। अब देखना यह है कि राज्य के प्रशासनिक विभाग और पुलिस इस मामले में किस तरह की कार्रवाई करते हैं और अदालत के निर्देशों का पालन करते हैं या नहीं।