झारखंड के साहिबगंज सदर अस्पताल में एक हृदयविदारक घटना सामने आई, जहां इलाज के अभाव में मलेरिया से पीड़ित छह साल की बच्ची ने अपने पिता की गोद में दम तोड़ दिया। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है, क्योंकि बच्ची के पिता करीब एक घंटे तक अस्पताल में डॉक्टरों की तलाश में भटकते रहे, लेकिन कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं था।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए साहिबगंज के उपायुक्त (DC) को दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में तत्काल जानकारी दी जाए और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी इस घटना पर चिंता व्यक्त की है और सभी सिविल सर्जनों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि ऐसी स्थिति दोबारा न हो।
घटना का विवरण: बच्ची की दर्दनाक मौत
यह दर्दनाक घटना मंडरो के सिमरिया गांव की है, जहां रहने वाले मथियस मालतो की छह साल की बेटी गोमदी पहाड़िन मलेरिया से पीड़ित थी। मथियस अपनी बेटी को लेकर साहिबगंज सदर अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने तुरंत इलाज की उम्मीद की थी। लेकिन अस्पताल में उस समय कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं था, जो बच्ची का इलाज कर सके।
मथियस ने बताया कि वे अपनी बेटी को गोद में लेकर इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक भटकते रहे। कभी इमरजेंसी वार्ड में तो कभी ओपीडी में डॉक्टरों की तलाश करते रहे, लेकिन किसी भी डॉक्टर ने उनकी बच्ची का इलाज नहीं किया। बाद में उन्हें पता चला कि डॉक्टर पोस्टमॉर्टम हाउस में पोस्टमॉर्टम कर रहे थे। इस बीच, बच्ची की हालत लगातार बिगड़ती रही, और इलाज के अभाव में उसने अपने पिता की गोद में दम तोड़ दिया।
बच्ची की मौत पर पिता का आरोप: लापरवाही का शिकार
गोमदी पहाड़िन की मौत से टूटे हुए पिता मथियस मालतो ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अगर समय पर डॉक्टरों ने उनकी बेटी का इलाज किया होता, तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों पर सवाल उठाते हुए कहा कि डॉक्टरों की गैरमौजूदगी और लापरवाही के कारण उनकी बेटी को अपनी जान गंवानी पड़ी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का निर्देश: दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई
इस घटना की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसे बेहद गंभीरता से लिया है। उन्होंने साहिबगंज के डीसी को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने कहा है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और इस मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को तत्काल इस मामले की रिपोर्ट सौंपने को कहा है ताकि जल्द से जल्द कार्रवाई हो सके।
स्वास्थ्य मंत्री का बयान: सिविल सर्जनों को सख्त निर्देश
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि अस्पतालों में इस तरह की लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री ने सभी सिविल सर्जनों को ताकीद किया है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी सरकारी अस्पतालों में समय पर मरीजों को सही इलाज मिले।
बन्ना गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए लगातार काम कर रही है, लेकिन इस तरह की घटनाएं अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं और जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सवालों के घेरे में स्वास्थ्य व्यवस्था
यह घटना राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े करती है। एक तरफ जहां सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के दावे कर रही है, वहीं दूसरी तरफ ऐसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि अस्पतालों में व्यवस्थाएं कितनी कमजोर हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, जहां अक्सर डॉक्टरों की कमी और अस्पतालों में लापरवाही के मामले सामने आते रहते हैं।
साहिबगंज अस्पताल में डॉक्टरों की गैरमौजूदगी और बच्ची की मौत की यह घटना राज्य के स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ा झटका है। इससे यह साफ होता है कि जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं अब भी सुधार की जरूरत महसूस कर रही हैं।
निष्कर्ष
साहिबगंज सदर अस्पताल में बच्ची की मौत ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर कर दिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की तत्परता से उम्मीद है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी और भविष्य में इस तरह की लापरवाही से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। लेकिन इस घटना ने राज्य के स्वास्थ्य ढांचे में सुधार की आवश्यकता को फिर से सामने लाया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी व्यक्ति को इलाज के अभाव में अपनी जान न गंवानी पड़े।