पतरातू (रामगढ़): झारखंड में बिजली की समस्या से जल्द ही निजात मिलने की उम्मीद है। राज्य के पतरातू में निर्माणाधीन 4000 मेगावाट की क्षमता वाले सुपरक्रिटिकल पावर प्लांट, पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (PVUNL), की पहली यूनिट इस साल दिसंबर से 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू कर देगी। यह जानकारी पीवीयूएनएल के सीईओ आरके सिंह ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान दी।
झारखंड को मिलेगी बड़ी राहत
झारखंड में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए अब तक मुख्य रूप से दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन पतरातू में इस सुपरक्रिटिकल पावर प्लांट के चालू हो जाने से राज्य को अपने उत्पादन की क्षमता में बड़ा इजाफा मिलेगा। इससे न केवल डीवीसी पर निर्भरता कम होगी, बल्कि झारखंड के दूरदराज के इलाकों में भी बिजली की आपूर्ति में सुधार आएगा।
बिजली उत्पादन की क्षमता में बढ़ोतरी
पीवीयूएनएल के सीईओ आरके सिंह ने बताया कि पतरातू सुपरक्रिटिकल पावर प्लांट की कुल क्षमता 4000 मेगावाट है। इसे तीन चरणों में शुरू किया जाएगा। पहले चरण में दिसंबर से 800 मेगावाट की पहली यूनिट का उत्पादन शुरू होगा। इसके बाद, अगले कुछ महीनों में अन्य यूनिट्स को भी चालू करने की योजना है, जिससे झारखंड की बिजली उत्पादन क्षमता में भारी वृद्धि होगी।
झारखंड की सबसे बड़ी पावर प्लांट
पतरातू में स्थापित किया जा रहा यह सुपरक्रिटिकल पावर प्लांट झारखंड का अब तक का सबसे बड़ा पावर प्लांट होगा। यह प्लांट न केवल राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि अन्य राज्यों को भी बिजली आपूर्ति करने में सक्षम होगा। इस पावर प्लांट की तकनीक और दक्षता इसे देश के अग्रणी पावर प्लांट्स में से एक बनाती है। सुपरक्रिटिकल तकनीक के कारण इस प्लांट से ऊर्जा का उत्पादन अधिक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल होगा।
राज्य की ऊर्जा सुरक्षा को मिलेगा बढ़ावा
इस पावर प्लांट के शुरू होने से झारखंड की ऊर्जा सुरक्षा को बड़ा बल मिलेगा। राज्य में औद्योगिकीकरण और शहरीकरण की बढ़ती मांगों के साथ, बिजली की निरंतर और विश्वसनीय आपूर्ति आवश्यक है। पतरातू प्लांट इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इसके अलावा, इस परियोजना से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा।
निष्कर्ष
दिसंबर से पतरातू सुपरक्रिटिकल पावर प्लांट की पहली यूनिट के शुरू होने के साथ ही झारखंड में बिजली की समस्या से काफी हद तक राहत मिल जाएगी। यह परियोजना न केवल राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगी बल्कि झारखंड को एक आत्मनिर्भर ऊर्जा उत्पादक राज्य बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। आने वाले समय में इस पावर प्लांट की पूर्ण क्षमता का दोहन करके झारखंड देश के ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान बना सकता है।